विधान परिषद चुनाव : बिहार सरकार ने केंद्र के पास भेजा यह प्रस्ताव, हाईकोर्ट में भी सुनवाई

विधान परिषद चुनाव : बिहार सरकार ने केंद्र के पास भेजा यह प्रस्ताव, हाईकोर्ट में भी सुनवाई

PATNA : बिहार विधान परिषद चुनाव को लेकर अब तक अधिसूचना जारी नहीं हुई है लेकिन स्थानीय निकाय कोटे से जिन 24 सीटों पर चुनाव होना है उनके वोटर्स को लेकर एक अहम फैसला होता नजर आ रहा है। बिहार विधान परिषद के स्थानीय निकाय वाले कोटे की सीटों पर सरपंच और पंच को वोटिंग का अधिकार दिए जाने का प्रस्ताव बिहार सरकार ने केंद्र के पास भेज दिया है। पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि विभाग की तरफ से प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया है और केंद्र सरकार की सहमति मिलने के बाद सरपंच और पंच भी स्थानीय निकाय वाले सीटों पर वोटर बन जाएंगे। बिहार में हालिया पंचायती चुनाव के बाद यह चर्चा होने लगी थी कि इस बार स्थानीय प्राधिकार वाली परिषद की सीटों पर वोटिंग का अधिकार सरपंच और पंच को भी दिया जा सकता है और अब इस दिशा में राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है।


पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि प्रस्ताव भेजे जाने के बाद उनकी बातचीत केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह से हुई है। केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया है कि पंचायती राज विभाग के प्रस्ताव पर जल्द फैसला लिया जाएगा। अब बता दें कि विधान परिषद की स्थानीय निकाय कोटे वाली सीटों पर ग्राम पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधि वोट देते हैं। इन्हीं के वोट से विधान परिषद के लिए सदस्यों का चयन होता है। पहले सरपंच और पंच को मत डालने का अधिकार हासिल नहीं है लेकिन अब इसमें बदलाव की प्रक्रिया चल रही है। उधर इस मसले पर पटना हाईकोर्ट में भी सुनवाई हुई है। पटना हाईकोर्ट में भी इस मामले पर सुनवाई हुई है।


दरअसल पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए यह कहा गया था कि सरपंच और पंच को स्थानीय निकाय कोटे वाली सीटों में वोटिंग का अधिकार मिलना चाहिए। बिहार विधान परिषद के सदस्यों के चुनाव में सरपंच तथा पंच को मताधिकार देने का अधिकार देने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव के पास पक्ष रखने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस. कुमार की खंडपीठ ने सुनील कुमार सिंह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। उनके वकील प्रशांत कश्यप ने कोर्ट को बताया कि संविधान की अलग-अलग अनुच्छेद में दिए गए प्रावधानों को नजरअंदाज किया जा रहा है याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि पंचायत के मुखिया को मत देने का अधिकार है लेकिन मुखिया की तरह ही आम वोटर्स के द्वारा चुने गए सरपंच और पंच को मत देने के अधिकार से वंचित रखा गया है। याचिकाकर्ता ने एमएलसी चुनाव में सरपंच और पंच को वोटर बनाए जाने की गुहार लगाई है। कोर्ट ने इस मामले को देखते हुए पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव के पास अपनी बात रखने का निर्देश याचिकाकर्ता को दिया है।