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तारापुर विधानसभा उपचुनाव : JDU का तीर किसके हाथ में होगा, जानिए.. कौन बन सकता है उम्मीदवार

1st Bihar Published by: Updated Wed, 29 Sep 2021 02:53:01 PM IST

तारापुर विधानसभा उपचुनाव : JDU का तीर किसके हाथ में होगा, जानिए.. कौन बन सकता है उम्मीदवार

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PATNA : बिहार में विधानसभा की 2 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है. विधानसभा उपचुनाव तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीट पर होना है. इसके लिए अधिसूचना 2 दिन बाद यानी 1 अक्टूबर को जारी हो जाएगी. 8 अक्टूबर तक नामांकन की तय सीमा है और 30 अक्टूबर को मतदान की तारीख. तारापुर और कुशेश्वरस्थान दोनों सीटों पर जेडीयू का कब्जा रहा है. तारापुर से जेडीयू के विधायक रहे मेवालाल चौधरी के निधन के बाद उपचुनाव कराया जा रहा है. इस पर एक बार फिर से एनडीए गठबंधन की तरफ से जेडीयू की दावेदारी है. तारापुर सीट जेडीयू की परंपरागत सीट रही है और यहां इस बार पार्टी किसे उम्मीदवार बनाएगी यह देखना बेहद दिलचस्प है.


तारापुर सीट से जेडीयू का उम्मीदवार कौन होगा, इसे पार्टी ने फिलहाल घोषित नहीं किया है. लेकिन इस हफ्ते के आखिर तक के घोषणा हो जाएगी. साल 2010 से इस सीट पर जेडीयू का कब्जा रहा है. उसके पहले 3 दफे लगातार इस सीट पर आरजेडी के शकुनी चौधरी चुनाव जीतते रहे. साल 2010 में नीता चौधरी ने जेडीयू की टिकट पर जीत हासिल की और शकुनी चौधरी को चुनाव में हराया.


2015 के विधानसभा चुनाव में भी शकुनी चौधरी को नीता चौधरी के पति मेवालाल चौधरी ने मात दी. पिछले विधानसभा चुनाव में भी मेवालाल चौधरी ने आरजेडी उम्मीदवार दिव्य प्रकाश को हराया. लेकिन मेवालाल चौधरी और उनकी पत्नी नीता चौधरी अब इस दुनिया में नहीं हैं. इन दोनों के निधन के बाद जेडीयू को यहां नए चेहरे की तलाश है. कुशवाहा बहुल इस सीट पर वोट का समीकरण जेडीयू के पक्ष में रहा है. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उपचुनाव में कैसे कुशवाहा के साथ-साथ दूसरी जातियों का वोट भी जोड़ कर जीत हासिल की जाए.


तारापुर विधानसभा सीट से जदयू उम्मीदवार चाहे जिसे भी बनाए.एक बात बिल्कुल तय है इस सीट से पार्टी का उम्मीदवार कोई कुशवाहा समाज से आने वाला चेहरा ही होगा. फिलहाल जिन दावेदारों की चर्चा खूब हो रही है, उनमें राजीव कुमार सिंह और निर्मल सिंह का नाम शामिल है. राजीव कुमार सिंह को जेडीयू पहले भी इस सीट से उम्मीदवार बना चुकी है. राजीव कुमार सिंह 2005 में हुए दोनों विधानसभा चुनाव यहां से लड़े लेकिन शकुनी चौधरी को मात नहीं दे पाए.


इसके पहले भी राजीव कुमार सिंह ने समता पार्टी से साल 2000 में विधानसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. उधर जेडीयू के अंदर निर्मल सिंह के नाम की चर्चा भी जोरों पर है. निर्मल सिंह तारापुर विधानसभा सीट से जेडीयू के नए और युवा चेहरा हो सकते हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच भी उनकी अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. खास बात यह है कि पंचायत चुनाव के दौरान उनकी पत्नी ने हाल ही में मुखिया का चुनाव भी जीता है.


राजीव कुमार सिंह एक तरफ जहां पार्टी के अनुभवी नेताओं में गिने जाते हैं. तो वहीं निर्मल सिंह को युवा चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि निर्मल सिंह भी डेढ़ दशक से जेडीयू के साथ जुड़े हुए हैं और उन्होंने जेडीयू के अलावा किसी और दल की राजनीति नहीं की है. राजीव कुमार सिंह इस मामले में दूसरे दलों के भी करीब रहे हैं. यह दोनों नेता कुशवाहा समाज से आते हैं. इसलिए पार्टी इनमें से किसी के ऊपर भी दांव लगा सकती है.


बीते विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार ने लव-कुश समीकरण को मजबूत करने के लिए जो पहल की. उपेंद्र कुशवाहा को जिस तरह अपने साथ लेकर आए. इन तमाम कोशिशों के बाद तारापुर विधानसभा सीट अपने आप में किसी लिटमस टेस्ट की तरह होगा. इस सीट पर जेडीयू कंफर्टेबल तो है. लेकिन चुनाव में कुछ भी हो सकता है.


ऐसे में कुशवाहा वोटों के साथ दूसरी जातियों का वोट कैसे जेडीयू अपने साथ जोड़े इसको लेकर भी नेतृत्व फैसला करेगा. सियासी जानकार मानते हैं कि निर्मल सिंह ना केवल लव-कुश समीकरण बल्कि वैश्य और सवर्णों के बीच भी खासे लोकप्रिय हैं. उधर राजीव कुमार सिंह की मजबूत कड़ी है कि उनके लिए नीतीश सरकार में शामिल जेडीयू के कई मंत्री लॉबिंग कर रहे हैं. निर्मल सिंह को जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह का करीबी माना जाता है. ललन सिंह मुंगेर लोकसभा सीट से ही सांसद हैं. लिहाजा इस सीट पर उम्मीदवार का फैसला होने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है.


फर्स्ट बिहार से बातचीत में राजीव कुमार सिंह ने कहा कि वह पार्टी के प्रति हमेशा से समर्पित रहे हैं. भले ही उन्हें चुनाव में जीत हासिल नहीं हुई हो लेकिन उन्होंने हर बार विरोधियों को कड़ी टक्कर दी है. उधर निर्मल सिंह अपनी उम्मीदवारी को लेकर फिलहाल कुछ भी कहने से परहेज करते दिखे उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी नेतृत्व और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के फैसले पर पूरा भरोसा है. पार्टी अगर मौका देगी तो वह उसके फैसले को सही साबित करके दिखाएंगे.


अब देखना होगा कि तारापुर विधानसभा सीट से जेडीयू किसे उम्मीदवार बनती है. उपचुनाव में जीत के लिए तीर किसके हाथों में दी जाती है. जेडीयू नेतृत्व किसी पुराने चेहरे पर भरोसा जताता है या फिर तारापुर की सियासत से किसी युवा चेहरे के हाथ में देने की तैयारी है. इन तमाम सवालों का जवाब उम्मीदवार की घोषणा होने के बाद ही मिल पायेगा.