PATNA: पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि जब बालासोर रेल दुर्घटना की जांच रेलवे सुरक्षा आयुक्त के अलावा सीबीआई से भी करायी जा सकती है, तो बिहार में निर्माणाधीन महासेतु के बार-बार ढहने की जांच भी तकनीकी कमिटी की जांच के साथ-साथ सीबीआई से भी करायी जानी चाहिये. सुशील मोदी ने कहा कि राज्य सरकार ने तकनीकी समिति से जांच कराने की बात कही है, ये तकनीकी समिति घूसखोरी, भ्रष्टाचार की जांच कैसे करेगी.
सुशील मोदी ने कहा कि तकनीकी एक्सपर्ट इसकी जांच कर सकते हैं कि महासेतु के डिजाइन में गलती थी या नहीं. लेकिन ऐसे कई सवाल हैं, जिनकी जांच वे नहीं कर सकते. पुल ने बनने में इतनी देर क्यों हुई, इसका बजट 600 बढाकर 1710 करोड़ रुपये किन हालात में करना पड़ा? किसे लाभ पहुंचाने के लिए निर्माण में लापरवाही बरती गई? इन सवालों का जवाब तकनीकी समिति कैसे तलाशेगी.
सुशील मोदी ने कहा कि महासेतु निर्माण में अनियमितता, प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी को राजनीतिक संरक्षण देने जैसे मामले की जांच सीबीआई ही कर सकती है. उन्होंने कहा कि जब पुल का शिलान्यास मुख्यमंत्री ने किया और वे ही इसके निर्माण की मानीटरिंग कर रहे थे, तब कहाँ गलती हुई, इसकी जांच तकनीकी कमेटी कैसे कर सकती है?
सुशील मोदी ने कहा कि जिस एजेंसी की गलती से महासेतु के पाये बार-बार ढहते रहे , उसी एजेंसी से नया पुल बनाने की बात सरकार कैसे कह सकती है? उन्होंने कहा कि क्या निर्माण एजेंसी से इस बात का करार हुआ है कि पुल गिरने या निर्माण में गड़बड़ी पाये जाने पर नया पुल भी उसे ही बनाना पड़ेगा? यदि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ, तो पहले वाली एजेंसी से नया महासेतु कैसे बनवाया जा सकता है?सुशील मोदी ने कहा कि अब अगर नया पुल बनेगा, तो फिर नौ साल लगेंगे और इसका बजट भी 3000 करोड़ तक बढ़ सकता है. उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?