PATNA : नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने आज फिर सुशासन की नयी कहानी गढ़ दी.सिवान के दरौंदा सीट पर हो रहे उप चुनाव में जदयू ने ढ़ाई दर्जन संगीन मामलों के आरोपी अजय सिंह को टिकट दे दिया. पहले अजय सिंह के बाहुबल का लाभ उठाने के लिए उनकी मां और फिर पत्नी को टिकट दिया गया था. पत्नी कविता सिंह विधायक से सांसद बनीं तो अजय सिंह को खाली हुई सीट से उम्मीदवार बना दिया गया है.
कौन है अजय सिंह
अजय सिंह सिवान में आतंक के पर्याय माने जाते रहे हैं. सिवान की आपराधिक दुनिया में अजय सिंह का नाम शहाबुद्दीन के विरोधियों में शुमार किया जाता है. अजय सिंह पर हत्या, लूट समेत 30 संगीन मामले दर्ज हो चुके हैं. उनके बाहुबल का लाभ उठाने के लिए नीतीश कुमार ने अजय सिंह की मां जगमातो देवी को 2005 और 2010 के चुनाव में टिकट दिया था. दोनों चुनाव में जगमातो देवी जीतीं. 2011 में जगमातो देवी का निधन हो गया और सीट खाली हुई. नीतीश कुमार ने अजय सिंह के क्रिमिनल रिकार्ड को देखते हुए उन्हें टिकट देने से इंकार कर दिया. लेकिन उस सीट पर अजय सिंह का कब्जा बना रहे इसके लिए दिलचस्प तरीका इजाद किया था.
चुनाव के लिए पितृपक्ष में अजय सिंह ने की थी शादी
दरअसल 2011 में जब दरौंदा सीट खाली हुई तो नीतीश कुमार के पास से अजय सिंह को मैसेज आया. अगर वे शादी कर लें तो पत्नी को टिकट दे दिया जायेगा. लिहाजा अजय सिंह ने शादी के लिए अखबार में विज्ञापन दिया. ये विज्ञापन नायाब विज्ञापन था. दुल्हन के लिए शर्त ये थी कि उसका नाम वोटर लिस्ट में होना चाहिये, उम्र 25 साल से ज्यादा और लडकी अगर राजनीतिक पृष्ठभूमि से हो तो उसे वरीयता दी जायेगी. विज्ञापन के जबाव में 16 लड़कियो का बायोडाटा आया. इसमें कविता सिंह का चयन किया गया. पितृपक्ष में तमाम मान्यताओं को तोड़ कर अजय सिंह ने शादी की और शादी के अगले दिन ही जदयू ने उनकी पत्नी कविता सिंह को टिकट दे दिया. कविता सिंह 2011 और 2015 में विधायक बनीं. 2019 के चुनाव में जदयू ने उन्हें लोकसभा का टिकट दे दिया. कविता सिंह सिवान से सांसद बन गयीं. लिहाजा उनकी विधायकी वाली सीट दरौंदा खाली हो गयी है. नीतीश कुमार को अब सीधे अजय सिंह को टिकट देने में भी परहेज नहीं रह गया है. लिहाजा उन्हें जदयू का टिकट दे दिया गया है.