DESK : सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत प्रवर्तन निदेशलय (ED) की गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाया है. जस्टिस एएम खानविलकर की तीन सदस्यीय बेंच ने मामले को बड़ी बेंच को ट्रांसफर करने फैसला किया है. तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि हमारे हिसाब से निष्कर्ष है कि यह मामला बड़ी पीठ को भेजा जाए.
कोर्ट ने कहा कि ED की गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है. जांच के दौरान ED, SFIO, DRI अधिकारियों (पुलिस अफसर नहीं) के सामने दर्ज बयान भी वैध सबूत हैं. आरोपी को ECIR (शिकायत की कॉपी) देना जरूरी नहीं है. यह काफी है कि आरोपी को यह जानकारी दे दिया जाए कि उसे किन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है. कोर्ट ने बेल की कंडीशन को भी बरकरार रखा है. हालांकि कोर्ट ने कानून में फाइनेंस बिल के जरिए किए गए बदलाव के मामले को 7 जजों की बड़ी बेंच में भेज दिया है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जारी याचिका में कहा गया था कि PMLA कानून के तहत गिरफ्तारी, जमानत देने, संपत्ति जब्त करने का अधिकार CrPC के दायरे से बाहर है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में PMLA एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए कहा गया था कि इसके CrPC में किसी संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में दी गई प्रक्रिया का पालन नहीं होता है. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने PMLA एक्ट के तहत ईडी के अधिकार को बरकार रखा है.