PATNA :बड़ी खबर पटना हाई कोर्ट के अंदर के गलियारे से है, जहां हाईकोर्ट ने पटना सिविल कोर्ट के 17 कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी है. कैश फ़ॉर जस्टिस प्रकरण , जिसमें दो टीवी चैनल पर पूरी दुनिया ने पटना सिविल कोर्ट के कर्मियों को खुले आम घूस मांगते देखा था , उस कांड में सभी 16 आरोपी कोर्ट कर्मियों को पटना हाई कोर्ट प्रशासन ने उनकी सेवा से बर्खास्त कर दिया है.
बर्खास्त हुए सभी कर्मी घूस लेने के आरोपी थे.15 नवम्बर को एक निजी टीवी चैनल ने कोर्ट में चल रहे घूस और उसके लेन देन को कैमरे में कैद कर प्रसारित किया था, जिसे देश भर के लोगों ने देखा था. न्यायपालिका की छत्रछाया में रिश्वत खोरी को उजागर करने के बाद यह मामला चर्चित हुआ था. एक्साइज के स्पेशल कोर्ट में पेशकारों और अन्य कर्मियों का अभियुक्तों के साथ लेन देन का खेल जब चल रहा था तो एक टीवी चैनल के पत्रकार ने सबकुछ अपने कैमरे में कैद कर लिया. जैसे ही इसका प्रसारण हुआ वैसे ही न्यायपालिका में खलबली मचने लगी.
पटना हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन के संज्ञान में जैसे ही यह मामला आया उन्होंने टीवी में दिखने वाले सभी कर्मियों को तुरंत निलंबित करने का आदेश दिया था, उसके बाद आरोपित कर्मियों पर विभागीय कार्यवाही शुरू हुई . इस सिलसिले में पटना हाई कोर्ट में एडवोकेट दिनेश ने उन कर्मियों के खिलाफ एफआईआर करने हेतु एक जनहित याचिका भी दायर किया था. न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय की खण्डपीठ ने उक्त जनहित याचिका को निष्पादित करते हुए, एफआईआर दर्ज हेतु प्रशासनिक निर्णय लेने के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश को रेफर किया था. जिसपर सुनवाई करते हुए मंगलवार को हाई कोर्ट प्रशासन ने अंततः सेवा से बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया.
बर्खास्त होने वाले कर्मी हैं-
रोमेंद्र कुमार, संतोष तिवारी, कुमार नागेन्द्र, संजय शंकर, आशीष दीक्षित, प्रदीप कुमार, सुनील कुमार यादव,विश्वमोहन विजय(सभी पेशकार), मुकेश कुमार(क्लर्क), सुबोध कुमार(टाइपिस्ट), शहनाज़ रिज़वी(नकलखना क्लर्क),सुबोध कुमार(सर्वर रुम का क्लर्क),मनी देवी, मधु राय, राम एकबाल और आलोक कुमार(सभी चपरासी)।पटना सिविल कोर्ट के इतिहास में पहली बार भ्रष्टाचार में लिप्त इतनी संख्या में कर्मियों को बर्खास्त किया गया है.