Bihar News: मंत्री संजय सरावगी ने मुजफ्फरपुर में की समीक्षा बैठक, अधिकारियों को दिए जरूरी निर्देश Bihar News: मंत्री संजय सरावगी ने मुजफ्फरपुर में की समीक्षा बैठक, अधिकारियों को दिए जरूरी निर्देश Bengaluru Stampede: विराट कोहली के खिलाफ थाने में शिकायत, बेंगलुरू हादसे को लेकर FIR दर्ज करने की मांग Bengaluru Stampede: विराट कोहली के खिलाफ थाने में शिकायत, बेंगलुरू हादसे को लेकर FIR दर्ज करने की मांग Buxar News: अजय सिंह के नेतृत्व में भारत प्लस इथेनॉल प्लांट की बड़ी उपलब्धि, सफलतापूर्वक विकसित किया CO2 स्टोरेज सिस्टम Buxar News: अजय सिंह के नेतृत्व में भारत प्लस इथेनॉल प्लांट की बड़ी उपलब्धि, सफलतापूर्वक विकसित किया CO2 स्टोरेज सिस्टम Bihar News: बिहार में सबसे सस्ता गोल्ड रेट और मेकिंग चार्ज लेकर आया श्री हरी ज्वेलर्स, मौका कहीं छूट न जाए Bihar News: बिहार में सबसे सस्ता गोल्ड रेट और मेकिंग चार्ज लेकर आया श्री हरी ज्वेलर्स, मौका कहीं छूट न जाए Patna News: पटना में यहां मिल रहा खादी के कपड़ों पर आकर्षक डिस्काउंट, खरीदने के लिए उमड़ रही भारी भीड़ Patna News: पटना में यहां मिल रहा खादी के कपड़ों पर आकर्षक डिस्काउंट, खरीदने के लिए उमड़ रही भारी भीड़
1st Bihar Published by: PRIYARANJAN SINGH Updated Wed, 05 Feb 2020 01:21:38 PM IST
- फ़ोटो
SUPAUL:सुपौल एनएनएस महिला महाविद्यालय परीक्षा केंन्द्र पर 28 जनवरी को बिना बोर्ड औऱ जिला प्रशासन की अनुमति के एसटीईटी की परीक्षा एक फर्जी केंन्द्राधीक्षक द्वारा लेने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिसके बाद प्रशासनिक महकमे में खलबली मच गई है। एसटीईटी की परीक्षा संपन्न कराने में लगे जिला प्रशासन के मजिस्ट्रेट ,शिक्षा विभाग और बिहार बोर्ड से आये पर्यवेक्षक को भी इस बात की भनक नही लग सकी कि जिस व्यक्ति ने पूरी परीक्षा प्रक्रिया को संपन्न कराया वो बिहार बोर्ड द्वारा नियुक्त असली केंन्द्राधीक्षक नही है। कोषागार से दंडाधिकारी ने प्रश्न पत्र और ओएमआर सीट प्राप्त कर जिसके हाथों में सौंपा वो असली केंन्द्राधीक्षक नही है। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब परीक्षा के दिन देर रात तक जिला प्रशासन के पास परीक्षा की खैरियत रिपोर्ट नही पहुंची। अब इस मामले को लेकर परीक्षा रद्द करने औऱ दोषी पर कार्रवाई की भी मांग उठने लगी है।
सुपौल एसएनएस महिला महाविद्यालय में परीक्षा केन्द्र कोड संख्या 6202 पर 28 जनवरी को हुए शिक्षक पात्रता परीक्षा में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। जिसे बिहार बोर्ड ने केंन्द्राधीक्षक बनाकर स्वच्छ परीक्षा लेने की जिम्मेवारी सौंपी थी वो दिल्ली में थे लेकिन इधर महाविद्यालय के एक शिक्षक शैलेंन्द्र कुमार सिंह ने फर्जी केंन्द्राधीक्षक बनकर पूरी परीक्षा प्रक्रिया को संपन्न करा दिया। हद तो तब हो गई कि उस केंन्द्र पर ट्रेजरी से प्रश्न पत्र लेकर देने वाले वरीय अधिकारीयों को भी इस बात की भनक नहीं लगी कि जिसे बिहार विद्यालय परीक्षा समीति ने केंन्द्राधीक्षक नियुक्त किया है ये वो नही हैं।
लेकिन आखिरी ढोल की पोल तो खुलनी ही थी। परीक्षा संपन्न हो जाने के बाद जब देर रात तक उस दिन अनुमंडल कार्यालय में खैरियत रिपोर्ट नही पहुंची तब जाकर इस बात का खुलासा हुआ कि जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण एक गैर केंन्द्राधीक्षक ने पूरी परीक्षा प्रक्रिया को संपन्न करा दिया। दरअसल एसएनएस महिला महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य अवनिंदर कुमार सिंह को बिहार बोर्ड ने एसटीईटी की परीक्षा संपन्न कराने के लिए केंन्द्रधीक्षक नियुक्त किया था। लेकिन प्रभारी प्रचार्य सह केंन्द्राधीक्षक दिल्ली में थे और उन्होने इस बात की जानकारी विभाग से छुपा ली औऱ उनकी जगह पर फर्जी केंन्द्राधीक्षक बनकर महाविद्यालय के शिक्षक शैलेंन्द् कुमार सिंह ने ही प्रचार्य के लेटर पेड का उपयोग कर केंन्द्राधीक्षक की जगह अपना सिग्नेचर कर पूरी परीक्षा प्रक्रिया को संपन्न करा दिया। इसकी प्रशासनिक महकमे को भनक तक नही लगी और उस केंन्द्र पर दंडाधिकारी ,उड़नदस्ता,डीईओ,एसडीओ समेत बिहार बोर्ड के पर्यवेक्षक तक ने परीक्षा के दौरान जांच की और स्वच्छ औऱ निष्पक्ष परीक्षा संपन्न होने की रिपोर्ट भी सौप दी। अब इधर महाविद्यालय के पूर्व प्रचार्य प्रो. निखिलेश कुमार सिंह ने ही इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा कर पूरे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा दी है।
इस पूरे मसले पर फर्जी केन्द्राधीक्षक की भूमिका में सामने आए महाविद्यालय के शिक्षक शैलेन्द्र कुमार सिंह को मामला उजागर होने के बाद मानों सांप सूंघ गया है। अब उन्हे अपनी गलती की अहसास होने लगा है. वहीं इस पूरे मसले में जिला शिक्षा पदाधिकारी अजीबो-गरीब बयान दे रहे हैं उनका कहना है कि परीक्षा तो कोई मनुष्य ही लेता है उन्होनें लिया तो कौन सी गलती कर दी। बहरहाल अब सवाल उठता है कि इतनी चाक-चौबंद व्यवस्था के बाबजूद इतनी बड़ी गलती कैसे हुई, जो कही न कही निष्पक्ष परीक्षा संपन्न कराने के बिहार बोर्ड और जिला प्रशासन के दावे की पोल खोलता दिखता है।