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1st Bihar Published by: Updated Wed, 16 Dec 2020 07:45:31 PM IST
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PATNA : बिहार के बहुचर्चित सृजन घोटाला मामले की जांच के दौरान एक नए घोटाले का खुलासा हुआ. घोटाला सामने आने के बाद महालेखाकार लेखा परीक्षक के दल ने साल 2007 से लेकर 2017 तक के अवधि का स्पेशल ऑडिट किया था और इसी ऑडिट के दौरान 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार 830 रुपये के अतिरिक्त गबन के बारे में जानकारी मिली. इस बारे में भागलपुर के जिलाधिकारी ने इसी साल मार्च महीने में मुख्यालय को पत्र भेजकर जानकारी दे दी. 6 मार्च को डीएम की तरफ से मुख्यालय को पत्र भेजा गया लेकिन चुनाव के दौरान इस पूरे मामले को लोगों के सामने नहीं आने दिया गया.
अब लगभग 100 करोड़ रुपए के अतिरिक्त गबन के इस मामले में एससी एसटी कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव ने प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है. इस मामले का तार सृजन घोटाले से जुड़ा हुआ है. लिहाजा अब अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के निर्देश पर डीएम प्राथमिकी दर्ज कराने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि इस मामले की जांच का जिम्मा भी सीबीआई को ही दिया जाएगा. सीबीआई पहले से सृजन घोटाले की जांच कर रही है.
साल 2017 में सृजन घोटाले के मामले में प्राथमिकी दर्ज होने की शुरुआत हुई थी. बिहार सरकार ने 18 अगस्त 2017 को सृजन स्कैन की सीबीआई जांच की सिफारिश की और केंद्र सरकार ने 21 अगस्त 2017 को सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी कर दी थी. 26 अगस्त 2017 को सीबीआई की टीम पहली बार भागलपुर पहुंची थी और अब इस मामले में 3 साल बाद लगभग 100 करोड़ रुपए के नए गबन का पर्दाफाश हुआ है.
ऑडिट रिपोर्ट में लगभग 9 महीने पहले 100 करोड़ के अतिरिक्त इस टाइम का खुलासा हुआ. मार्च महीने में डीएम ने मुख्यालय को रिपोर्ट भेज दी लेकिन 9 महीने तक इसे ठंडे बस्ते में रखा गया. बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान किसी को इस मामले की भनक नहीं लगी.= ऐसे में सरकार की मंशा पर सवाल उठना लाजमी है. अब जब बिहार में विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं और एक बार फिर नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं तो फिर वापस से इस मामले में एफआईआर करने की तैयारी शुरू हुई है. राज्य सरकार इस मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को देने का मन बना चुकी है लेकिन सृजन घोटाले के मुख्य आरोपी अभी भी सीबीआई की पकड़ से बाहर है.