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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Fri, 04 Jul 2025 03:28:07 PM IST
प्रतिकात्मक - फ़ोटो file
Bihar News: नीतीश सरकार ने तांती जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने के सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2024 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। यह जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से शुक्रवार को दी गई। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में राज्य सरकार ने तांती जाति को फिर से पिछड़ा वर्ग की सूची में क्रमांक 33 पर शामिल कर दिया था।
जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के 1 जुलाई 2015 के उस संकल्प को रद्द कर दिया था, जिसमें तांती-तंतवा जाति को एससी वर्ग में शामिल किया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अनुसूचित जातियों की सूची में किसी जाति को जोड़ने या हटाने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं, बल्कि यह केवल संसद कर सकती है।
संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत राज्य को एससी सूची में कोई छेड़छाड़ करने की अनुमति नहीं है। एससी सूची में अन्य जातियों को जोड़ने से वास्तविक दलित वर्गों के अधिकारों का हनन होता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जिन तांती-तंतवा समुदाय के लोगों को पिछले 9 वर्षों में SC आरक्षण का लाभ मिला है, उन्हें अति पिछड़ा वर्ग के कोटे में समायोजित किया जाए।
इससे खाली होने वाली आरक्षित सीटों और पदों को वास्तविक अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवारों से भरा जाए। यह फैसला डॉ. भीमराव आंबेडकर विचार मंच और आशीष रजक की याचिका पर जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने सुनाया था।
इस विवाद की शुरुआत पटना हाईकोर्ट से हुई थी, जहां याचिकाकर्ताओं ने सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। लेकिन 3 अप्रैल 2017 को हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। इसके बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट गए थे।