JEHANABAD: नीतीश सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में जहानाबाद में आज बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के शिक्षकों ने प्रतिरोध मार्च निकाला। बीजेपी एमएलसी जीवन कुमार भी इस प्रतिरोध मार्च में शामिल हुए और और सरकार पर शिक्षकों के साथ छल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि नीतीश और तेजस्वी की सरकार ने शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का एलान तो किया लेकिन नई नियमावली लाकर एक काला कानून उनपर थोप दिया है।
एमएलसी जीवन कुमार ने कहा कि महागठबंधन की सरकार में बैठे लोगों ने यह वादा किया था कि उनकी सरकार बनने के बाद शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देंगे लेकिन सरकार बनने के बाद सरकार ने शिक्षकों के साथ वादाखिलाफी की है। उन्होंने कहा कि अध्यापक नियमावली 2023 जो लाया गया है वह पूरी तरह से काला कानून है। जिन शिक्षकों की उम्र 50 -55 वर्ष से ज्यादा हो चुकी है वैसे लोग अब सरकार के द्वारा लाए इस कानून के तहत परीक्षा दें, यह कहां का न्याय है।
जीवन कुमार ने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि सरकार अपने वादे को निभाए और शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे। उनका कहना था कि सरकार अगर इसपर विचार नहीं करती है तो उनका आंदोलन और तेज होगा। बता दें कि जहानाबाद में शिक्षकों का यह प्रतिरोध मार्च बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ भवन से चलकर अरवल मोड़ होते हुए डीएम कार्यालय तक पहुंचा, जहां शिक्षकों ने डीएम को ज्ञापन सौंपकर सरकार के समक्ष अपनी मांग रखी।
बता दें कि नीतीश सरकार ने शिक्षक बहाली की नई नियमावली को मंजूरी दे दी है। अब शिक्षकों की बहाली बीपीएससी के माध्यम से होगी और इसके लिए राज्यस्तरीय परीक्षा आयोजित की जाएगी। सीटीईटी, एसटीईटी और टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी तीन बार इस परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। परीक्षा के बाद बहाल हुए शिक्षकों को सरकार सरकारी कर्मी का दर्जा देगी। पूर्व से नियोजित 4 लाख शिक्षक भी इस प्रक्रिया से राज्यकर्मी का दर्जा प्राप्त कर सकेंगे। परीक्षा में पास करने वाले पुराने नियोजित शिक्षकों का वेतन उनकी वरीयता के आधार पर तय की जाएगी।