शर्मनाक: बेगूसराय फायरिंग में मृतक-घायलों की नीतीश ने जाति बतायी, पढ़िए कैसे सरासर गलतबयानी कर रहे हैं बिहार के सीएम

शर्मनाक: बेगूसराय फायरिंग में मृतक-घायलों की नीतीश ने जाति बतायी, पढ़िए कैसे सरासर गलतबयानी कर रहे हैं बिहार के सीएम

PATNA: बिहार के बेगूसराय में मंगलवार की शाम अपराधियों के मौत के तांडव के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने लाश की जाति पता करायी है. बिहार के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि बेगूसराय में अति पिछड़ों पर गोलियां चलायी गयी है. नीतीश ये भी कह रहे हैं कि मुसलमानों के इलाके में हंगामा हुआ है. बेगूसराय में जो हुआ, वैसा बिहार में पहले कभी नहीं हुआ था. लेकिन मुख्यमंत्री जाति तलाश रहे हैं और पुलिस घटना के 36 घंटे बाद भी अपराधियों का कोई सुराग नहीं ढ़ूंढ़ पायी है. सवाल ये उठ रहा है कि क्या बिहार के मुख्यमंत्री जाति का सहारा लेकर अपनी सरकार औऱ पुलिस के निकम्मेपन को रफा-दफा करने में लग गये है. फर्स्ट बिहार अपराधियों और अपराध से पीडित लोगों की जाति नहीं तलाशता लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री के जाति वाले बयान के बाद हमने अपराधियों की गोली से मारे गये या घायल हुए लोगों की जाति पता करायी. इससे पता चलता है कि कैसे बिहार के मुख्यमंत्री सरासर गलतबयानी कर रहे हैं. 


क्या कहा नीतीश ने

बेगूसराय की घटना पर नीतीश कुमार ने बुधवार की शाम मीडिया से बात की.

नीतीश कुमार ने कहा “घटना किस तरह से कहां पर हुई है ये भी मुझे पता चला है. इसका मतलब है कि करने वाला जानबूझ कर ई धंधा किया है. एक तरफ जहां पर किया है गडबड़ी वे सब पिछडे वर्ग के हैं. एक तरफ जो हंगामा हुआ है वो मुस्लिम कम्युनिटी के लोग हैं. तो इस तरह से कोई न कोई धंधा जरूर किया है और हमने कहा है हर तरह से एक-एक चीज का पता करिये.”



नीतीश को पहले से पता था फिर भी घटना हुई

नीतीश कुमार मीडिया से बोले

“ये तो हमने पहले ही, आज से ही कुछ ही दिन पहले मीटिंग करके सबके साथ, गृह विभाग औऱ पुलिस के साथ मीटिंग को मेनटेन करने के लिए और जो पहले से बने हुए नियम हैं उनका ठीक से पालन करने को कहा था. ये बात हम पहले ही मीटिंग में कर चुके है.”


सवाल ये है कि जब नीतीश कुमार को पहले से ऐसी आशंका थी और उन्होंने पुलिस को पहले से सतर्क कर दिया था तो फिर ऐसी घटना कैसे हो गयी. नीतीश के बयान का मतलब यही निकलता है कि पुलिस उनकी बातों को गंभीरता से नहीं ले रही है.


अब नीतीश को साजिश का शक

नीतीश कुमार को बेगूसराय की घटना निश्चित तौर पर साजिश नजर आ रही है. नीतीश ने कहा-निश्चित कुछ न कुछ साजिश है. हमने पुलिस को कहा है कि पूरा पता करिये. जरूर कोई न कोई झंझट किया है, हमने कहा है पूरा पता करिये. एक-एक चीज को देखिये.


गलतबयानी कर रहे हैं नीतीश कुमार

हमने अपने पाठकों को ये स्पष्ट कर दें कि फर्स्ट बिहार का मानना है कि अपराधी और अपराध से पीडित लोगों की जाति नहीं तलाशा जाना चाहिये. अपराधी किसी जाति-मजहब का हो उसे अपराधी ही माना जाना चाहिये. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री के जाति वाले बयान के बाद हमने बेगूसराय में मृत औऱ घायल लोगों की जाति का पता लगाया. देखिये कौन किस जाति का था


मृतक चंदन कुमार, जाति-धानुक

घायल नीतीश कुमार, जाति-कापर

घायल गौतम कुमार पाठक, जाति-ब्राह्मण

घायल अमरजीत कुमार दास, जाति-ततमा(जुलाहा)

घायल विशाल सोलंकी, जाति-राजपूत

घायल रोहित कुमार पंडित, जाति-कुम्हार

घायल भरत यादव, जाति-यादव

घायल रंजीत यादव, जाति-यादव

घायल दीपक कुमार चौधरी, जाति-भूमिहार

घायल जीतो पासवान, जाति-पासवान

घायल प्रशांत कुमार रजक, जाति-धोबी


बेगूसराय में अपराधियों के तांडव के शिकार बने लोगों और उनकी जाति साफ बताती है कि बिहार के मुख्यमंत्री गलतबयानी कर रहे हैं. अपराधियों ने किसी जाति को देखकर गोली नहीं चलायी बल्कि जो उनके सामने आया उस पर ताबड़तोड़ फायरिंग की. अपराधियों की बंदूक ने जाति नहीं पहचानी. हां, इस जघन्य घटना के बाद बिहार के मुख्यमंत्री ने मृतकों औऱ घायलों की जाति जरूर पहचानी और वह भी गलत. 


क्या सरकार चाहती है कि जातीय-सांप्रदायिक विवाद हो

सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या बिहार सरकार ही चाहती है कि बेगूसराय में जातीय या सांप्रदायिक विवाद हो. बेगूसराय में अपराधियों के तांडव के बाद कोई जातीय या धर्म का विवाद नहीं हुआ. लेकिन नीतीश कुमार पटना में बैठकर ये भी कहते रहे कि मुसलमानों के इलाके में हंगामा हो रहा है. 


जंगलराज पर जाति का नकाब?

उधर बेगूसराय में फायरिंग के 36 घंटे बाद भी पुलिस हत्यारों का कोई सुराग नहीं तलाश पायी है. पुलिस ने बुधवार की शाम संदिग्ध हत्यारों की तस्वीरें जारी कर. जिन लोगों की तस्वीरें जारी की गयी, उन्हें पुलिस भी दावे के साथ घटना को अंजाम देने वाला अपराधी नहीं कह पा रही है. पुलिस के पास इन तस्वीरों के सिवा कुछ नहीं है. संदिग्ध लोगों का पता बताने वालों के लिए 50 हजार के इनाम की घोषणा की गयी है. लेकिन फिर भी कोई सुराग नहीं मिल पाया है. जब बिहार के मुख्यमंत्री ने ही जंगलराज के इस खौफनाक कारनामे पर जाति का नकाब डाल दिया है तो पुलिस अपराधियों को पकडने के लिए खास कवायद क्यों करेगी.