PATNA : अपने अधिकारों में कटौती किए जाने के बाद राज्य के सभी मेयर सरकार से नाराज हैं। राज्य सरकार ने पिछले दिनों नगर निकायों के अधिकार में कटौती कर दी थी। नगर निकाय में प्रथम और दूसरी श्रेणी के पदों पर भर्ती का अधिकार ही पहले ही सरकार के पास था। अब नगर निगर निगमों से तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की बहाली का अधिकार भी छीन लिया गया है। इतना ही नहीं नगर निगम के स्तर पर नियुक्त पदाधिकारियों और बकर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार भी अब सरकार के पास है। सरकार के इस फैसल के खिलाफ प्रदेश के सभी मेयरों ने मोर्चा खोल दिया है।
आज यानी बुधवार को बिहार के सभी 12 नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर पटना में जुटान करेंगे। पटना नगर निगम में इनकी बैठक आयोजित की गई है। इस बैठक में सरकार के फैसले के खिलाफ ना केवल रणनीति बनेगी बल्कि फैसले को हाईकोर्ट में भी चुनौती दिए जाने के बाद कि स्थितियों की समीक्षा भी होगी। दरअसल नीतीश सरकार ने बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 के कई नियमों में बदलाव किया है। 31 मार्च को इससे संबंधित गजट प्रकाशन हुआ। पार्षदों का कहना है कि नगर निगम से एक-एक कर सभी अधिकार छीने जा रहे हैं। संविधान के 74वें संशोधन के तहत स्थानीय निकायों को पूर्ण स्वतंत्रता देने की बात कही गई है, इसके उलट निकायों का अधिकार कम किया जा रहा है।
सरकार के फैसले के मुताबिक बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा 36(2) के अनुसार के पदाधिकारियों की नियुक्ति नियमित या संविदा पर सरकार करेगी। पहले यह अधिकार सशक्त स्थायी समिति को था। सरकार ने योग्यता और सेवा शर्त तय करने का अधिकार भी छीना है। धारा 37(7) में सशक्त स्थायी समिति को तृतीय और चतुर्थ वर्ग के पद पर छह माह के लिए नियुक्ति का अधिकार था। ये सारे अधिकार समाप्त हो गए हैं।