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1st Bihar Published by: Updated Mon, 07 Feb 2022 11:17:41 AM IST
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PATNA : बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए बीजेपी और जेडीयू के बीच जंग छिड़ी हुई है. एक ओर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह हर दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोट कर के बिहार की ओर ध्यान देने की बात कर रहे हैं. तो वहीं बीजेपी के नेता हमेशा इस बात को नकार रहे हैं कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत है. आज बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक पर फिर लंबा चौड़ा पोस्ट करके जेडीयू पर निशाना साधा है.
संजय जायसवाल ने एक डाटा शेयर किया है और लिखा है कि डाटा यह बताने में सक्षम है कि केंद्र सरकार बिहार का कितना ध्यान रखती है. उन्होंने जेडीयू नेताओं पर तंज कसते हुए लिखा है कि खुद की कमी दूर नहीं करते हैं और नीति आयोग की शिकायत करते रहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि बिहार को विकसित राज्य बनाने के लिए उद्योग को बढ़ावा देना जरूरी है. संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पोस्ट में क्या लिखा है, आप खुद पढ़िए..
महाराष्ट्र की आबादी बिहार से एक करोड़ ज्यादा है फिर भी बिहार को महाराष्ट्र के मुकाबले 31हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलते हैं ।बंगाल भी बिहार की भांति पिछड़ा राज्य है पर उसके मुकाबले भी बिहार को 21हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलता है । दक्षिण भारत के राज्यों की हमेशा शिकायत रहती है कि केंद्र सरकार हमें कम पैसे देती है क्योंकि हमने आबादी को 70 के दशक में ही केंद्र की नीतियों के कारण रोक लिया था ।
अब केंद्र सरकार इसको अपराध मानती हैं। जीएसटी से सबसे ज्यादा फायदा बिहार जैसे राज्य को हुआ है । पहले जिस राज्य में उद्योग स्थापित होते थे उनको अलग से कमाई होती थी ।अब इस कमाई का बडा़ हिस्सा उपभोक्ता राज्य में बंटता है जिसके कारण बिहार को 20हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त फायदा हुआ है । बिहार को अगर आगे बढ़ाना है तो सरकार को ये लक्ष्य रखने ही होंगे ।
अगर केरल के अस्पताल 100 बेड जोड़ते हैं तो प्रति हजार व्यक्ति में इसका इजाफा दिखता है। हम 200 बेड भी जोड़ते हैं तो 300 बच्चे पैदा करने के कारण वह नीति आयोग के आंकड़े में कहीं नहीं दिखता और हम अपनी कमी दूर करने के बजाय नीति आयोग की शिकायत करते हैं ।
जब हमने एक अच्छे लक्ष्य के लिए गुजरात की भांति 15 हजार करोड़ रुपए की तिलांजलि दी है तो सरकारी राशि का उपयोग होटल और बस स्टैंड जैसी योजनाओं में सैकड़ों करोड़ खर्च करके भवन निर्माण विभाग को खुश करने के बजाय गरीबों के कल्याणकारी योजनाओं में होना चाहिए।
पीपीपी मोड में इन सब चीजों को बनाने से सरकार का एक पैसा भी नहीं लगेगा उल्टे उसकी आमदनी बढ़ेगी। वैसे भी फाइव स्टार होटल बनाना सरकार का काम नहीं है। 2020 में एनडीए सरकार का गठन आत्मनिर्भर बिहार के 7 निश्चय के आधार पर हुआ था । हमें इस मूल मुद्दे से कभी भटकना नहीं चाहिए