RANCHI: झारखंड में उच्च शिक्षा पर संकट छाया हुआ है। इस बात को खुद झारखंड सरकार भी मान रही है। झारखंड के विश्वविधालयों में 40 फीसदी शिक्षकों की पद खाली है। राज्य के यूनिवर्सिटी में 300 से ज्यादा जेआरएफ पास अभ्यर्थियों को शोध निदेशक नहीं मिल रहे क्योंकि शिक्षकों की कमी है। विधानसभा के सत्र के दौरान सदन में बगोदर विधायक के द्वारा इस मुद्दे को उठाया गया। जिसके जवाब में मंत्री ने इस बात को सही भी बताया लेकिन मंत्री ने शोध निदेशकों की कमी की बात को इनकार किया।
दरअसल, झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दुसरे चरण के आठवें दिन सदन में बगोदर विधायक के द्वारा विश्वविद्यालयों में शिक्षक की कमी का मुद्दा उठाया। बगोदर विधायक विनोद सिंह ने अनुसूचित प्रश्न के माध्यम से सरकार के समक्ष विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी बताते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी में 300 से ज्यादा जेआरएफ पास अभ्यर्थियों को शोध निदेशक नहीं मिल रहे क्योंकि शिक्षकों की कमी है।
वहीं, सदन में बगोदर विधायक के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री मिथिुलेश ठाकुर ने कहा कि राज्य के यूनिवर्सिटी में शिक्षकों के 40 फीसदी से ज्यादा पदें रिक्त है लेकिन विश्वविद्यालयों में शोध निदेशकों की कोई कमी नहीं है। मंत्री ने आगे कहा कि रांची विश्वविद्यालय में जेआरएफ पास अभ्यर्थियों की संख्या 142 है वहीं शोध निदेशकों की संख्या 92 है। विनोबा भावे यूनिवर्सिटी में 88 जेआरएफ अभ्यर्थी हैं वहीं शोध निदेशक 421 हैं। एसकेएमयू में 19 जेआरएफ पास अभ्यर्थी हैं वहीं शोध निदेशकों की संख्या 63 है। इसके साथ ही शिक्षको की कमी के सवाल पर मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति का कार्य चल रहा है। सरकार ने विश्वविद्यालयों के मुख्यालय और अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए यूनिवर्सिटी को इकाई मानकर आरक्षण रोस्टर क्लीयरेंस की प्रक्रिया का प्रस्ताव कार्मिक विभाग को भेज दिया है। जल्द ही रिक्त स्थानों पर शिक्षकों की भर्ती की जाएगी।