रामनवमी के दौरान लगे बैन को लेकर भारी बवाल, बीजेपी विधायक ने सदन में फाड़ लिया कुर्ता

रामनवमी के दौरान लगे बैन को लेकर भारी बवाल, बीजेपी विधायक ने सदन में फाड़ लिया कुर्ता

RANCHI: झारखंड के हजारीबाग में रामनवमी के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर विधानसभा के बाहर और भीतर जोरदार हंगामा हुआ। बिधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले सदन के बाहर बीजेपी के विधायकों ने जमकर हंगामा किया। इसके बाद सदन के भीतर जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, बीजेपी के विधायक जय श्रीराम के नारे लगाने लगे। बीजेपी विधायकों का आरोप था कि सरकार तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। इस दौरान बीजेपी विधायक ने अपना कुर्ता तक फाड़ डाला।


दरअसल, हजारीबाग में जिला प्रशासन द्वारा रामनवमी को लेकर गई पाबंदियां लगाई गई हैं। इसको लेकर विधानसभा में बीजेपी लगातार आपत्ति जता रही है। मंगलवार को सदन के बाहर और भीतर बीजेपी के विधायकों ने जोरदार हंगामा किया। सदन के भीतर बीजेपी विधायक रामनवमी को लेकर हजारीबाग में लगाई गई पाबंदियों पर सरकार से जवाब मांग रहे थे। इस दौरान बीजेपी विधायक मनीष जायसवाल ने अपना कुर्ता फाड़कर विरोध जताया। मनीष जायसवाल ने अपनी गंजी में जय श्रीराम लिखा हुआ था। भारी हंगामे के बाद बीजेपी विधायक मनीष जायसवाल विधायक सीपी सिंह के साथ सदन से बाहर निकल गए। 


इससे पहले सदन में बोलते हुए बीजेपी विधायक ने कहा कि हम नियोजन को लेकर लंबे समय से विरोध कर रहे थे, हमारी एक ही मांग थी कि मुख्यमंत्री जवाब दें। हमने रामनवमी के दौरान हजारीबाग में लगे प्रतिबंध का विषय सदन में उठाया तो पांच हजार लोगों पर 107 लगा दिया गया। वाद्य यंत्र बजाने पर रोक है, डीजे वालों से हस्ताक्षर कराया जा रहा है कि वह किसी को डीजे नहीं देंगे। इस देश में, इस राज्य में क्या हिंदू होना अपराध है। सदन चल रहा है, हम लगातार अपनी बात रख रहे हैं फिर भी इस पर कोई आश्वासन नहीं सुनवाई नहीं फिर सदन में आने का क्या मतलब। क्या हम तालिबान में रहते हैं।


बता दें कि हजारीबाग जिला प्रशासन ने रामनवमी को लेकर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। रामनवमी में डीजे बजाने को लेकर प्रतिबंध लगा है, जिसका विरोध बीजेपी कर रही है। बीजेपी का आरोप है कि हेमंत सरकार तुष्टिकरण की नीति अपना रही है और हिंदुओं को दबाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी का आरोप है कि हर साल हिंदुओं के त्योहारों के मौके पर व्यवधान डाला जा रहा है। वहीं इस पूरे मुद्दे पर सरकार का कहना है कि विधि व्यवस्था को बनाए रखने के लिए इस तरह का कदम उठाया जा रहा है।