DESK: देश के पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी का आज निधन हो गया। दिल्ली के एक प्राइवेट नर्सिंग होम में उन्होंने आखिरी सांस ली। कोरोना संक्रमित होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 91 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। पूर्व अटार्नी जनरल के निधन पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी ट्वीट कर शोक जताया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में लिखा, 'सोली सोराबजी एक उत्कृष्ट वकील और बुद्धिजीवी थे। कानून के माध्यम से, वह गरीबों और दलितों की मदद करने में सबसे आगे थे' वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लिखा 'सोली सोराबजी के निधन से हमने भारत की कानूनी प्रणाली का एक चिह्न खो दिया'।
पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी का जन्म 1930 में हुआ था, 1953 में उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट से अपनी प्रैक्टिस शुरू की। सोराबजी 1989 से 1990 तक अटॉर्नी जनरल रहे। दूसरी बार ये जिम्मेदारी उन्होंने 1998 से 2004 तक निभाई। 2002 में उन्हें पद्म विभूषण का सम्मान भी मिला। करीब सात दशक तक कानूनी पेशे से जुड़े रहे। सोली सोराबजी की बड़े मानवाधिकार वकीलों में गिनती होती थी। नाइजरिया में मानवाधिकार के मामलों की जांच के लिए 1997 में यूनाइटेड नेशन ने उन्हें विशेष दूत बनाकर भेजा था। जहां से लौट कर उन्होंने अपनी रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र को सौंपी। इसके साथ ही उनकी छवि मानवाधिकार के क्षेत्र में काम करने वाले एक महान व्यक्तित्व के रूप में हो गई।
ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच बाईलैटरल लीगल रिलेशंस की सर्विस के लिए मार्च 2006 में उन्हें ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया का ऑनरेरी मेंबर चुना गया। 1998-2004 के बीच मानवाधिकारों की रक्षा और इसे बढ़ावा देने के लिए बनी यूएन-सब कमीशन के चेयरमैन रहे। सोराबजी की गिनती उन वकीलों में होती थी, जिन्होंने भारत के संवैधानिक कानूनों के विस्तार में प्रमुख भूमिका निभाई है। राम जेठमलानी जिस वक्त देश के कानून मंत्री थे उस दौरान सोली सोराबजी एटॉर्नी जनरल थे। कुछ कानूनी मसलों पर राम जेठमलानी और तत्कालीन चीफ जस्टिस ए एस आनंद के बीच टकराव की स्थिति पैदा होने लगी।