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1st Bihar Published by: Updated Fri, 14 Feb 2020 01:07:11 PM IST
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BHAGALPUR : पुलवामा अटैक की पहली बरसी पर सारा देश उन चालीस शहीदों को पूरे शिद्दत के साथ याद कर रहा है। जिन्होनें आतंकियों की कायराना हरकत में देश के लिए अपना प्राण न्य़ोछावर कर दिया था। उस हमले में बिहार के दो लाल भी भारत माता की बलि वेदी शहीद हो गये थे। मसौढ़ी के संजय सिन्हा और भागलपुर के रतन कुमार ठाकुर इस हमले में शहीद हो गए थे।भागलपुर के लाल को पूरा शहर याद कर रहा है। इस बीच मासूम बेटे ने पापा को सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वो बड़ा होकर पापा की तरह ही फौजी बनेगा और देश की सेवा करेगा।
शहीद रतन कुमार ठाकुर का परिवार को जहां देश के लिए अपने बेटे की शहादत पर गर्व है तो शहीद का पांच साल का मासूम बेटा भी पापा की तरह ही बनना चाहता है। पांच साल के मासूम कृष्णा ने कहा कि वह भी बड़ा होकर पापा की तरह फौजी बनना चाहता है। पहली बरसी के मौके पर याद करते हुए शहीद के भाई मिलन कुमार ठाकुर ने कहा कि गांव के चौक पर स्मारक लगना चाहिए और साथ ही स्कूल का नामकरण शहीद भाई के नाम पर किया जाना चाहिए। सन्हौला प्रखंड के मदारगंज रतनपुर चौक के बगल में शहीद रतन ठाकुर की प्रतिमा लगाने की घोषणा हुई थी लेकिन आज तक वो पूरी नहीं हुई है। हालांकि चौक पर लगी उनकी तस्वीर शहादत और बलिदान की कथा को बयां करती है।शहीद की पत्नी राजनंदिनी को सरकार से मिली मदद से कोई शिकायत नहीं है।
शहीद रतन ठाकुर के शहादत के बाद गांव में सीएम से लेकर मंत्री और अधिकारी तक पहुंचे थे और शहादत को श्रद्धांजलि दी गई थी। इस दौरान गांव और परिवार को लेकर सरकार की तरफ से कई वादे और आश्वासन भी दिये गये। इनमें से कुछ पूरे हुए और कुछ आज भी अधूरे हैं, इसका परिवार सहित स्थानीय लोगों को मलाल है। बिहार सरकार ने गांव का नाम, स्कूल का नाम, पंचायत का नाम शहीद के नाम पर रखने की बात कही थी, वह भी पूरा नहीं हुआ। अंबानी फाउंडेशन से भी भरोसा मिला था, कुछ नहीं हुआ। पीएम की तरफ से 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद परिजनों से मिलने की बात हुई थी, वह भी अभी नहीं हुआ। वैसे, शहीद रतन के परिवार को अभी तक कुल 36 लाख रुपए मिले हैं, जिसमें सीआरपीएफ और बिहार सरकार के अलावा समाज के लोगों ने दिया है।