एक-एक कर चलते बने बिहार कांग्रेस के प्रभारी और सह प्रभारी, अकेले पड़े मदन मोहन झा पर पद छोड़ने का दबाव

एक-एक कर चलते बने बिहार कांग्रेस के प्रभारी और सह प्रभारी, अकेले पड़े मदन मोहन झा पर पद छोड़ने का दबाव

PATNA : लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी अपने इस्तीफे की जीत पर पड़े हैं तो वहीं बिहार में कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा पर कुर्सी छोड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी की पीड़ा सामने आने के बाद देशभर में कांग्रेस के पदाधिकारियों का इस्तीफा हो रहा है। बिहार में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद दबी जुबान से पद छोड़ने की इच्छा जता चुके मदन मोहन झा पर इस बात के लिए सार्वजनिक तौर पर दबाव बढ़ गया है कि वह अपना पद छोड़ दें। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। गोहिल के बाद अब बिहार में सबसे ज्यादा सक्रिय सह प्रभारी वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने भी अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। राठौड़ के इस्तीफे के बाद अब सबकी नजरें मदन मोहन झा पर टिक गई हैं। लोकसभा चुनाव के पहले शक्ति सिंह गोहिल को बिहार का प्रभारी बनाए जाने के बाद जितने भी सह प्रभारी नियुक्त किए गए उनमें से कोई भी बिहार में टिक कर काम नहीं कर सका। बिहार के सह प्रभारी नियुक्त किए गए राजेश लिलोठिया लोकसभा चुनाव के पहले ही दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष बना दिए गए, बाद में उन्होंने हंसराज हंस के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा और खुद की जमानत भी नहीं बचा सके। गुजरात में बिहारियों को निशाना बनाने वाले ठाकोर सेना के मुखिया अल्पेश ठाकोर की सह प्रभारी पद से छुट्टी कर दी गई थी। एक अन्य सह प्रभारी अजय कपूर लोकसभा चुनाव के दौरान केवल शत्रुघ्न सिन्हा के नामांकन के मौके पर ही नजर आए। जबकि बिहार में सक्रियता दिखाने वाले वीरेंद्र सिंह राठौर ने भी अब पद से इस्तीफा दे दिया है। अब देखना दिलचस्प होगा की अकेले पड़ चुके प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा आगे किस रणनीति पर काम करते हैं।