प्रशांत किशोर के लिए तू-तड़ाक पर उतरे नीतीश, कहा- कहीं और ठिकाना देख रहा होगा इसलिए ये सब कर रहा है, अमित शाह के कहने पर पार्टी में शामिल किया था

1st Bihar Published by: Updated Tue, 28 Jan 2020 04:10:56 PM IST

प्रशांत किशोर के लिए तू-तड़ाक पर उतरे नीतीश, कहा- कहीं और ठिकाना देख रहा होगा इसलिए ये सब कर रहा है, अमित शाह के कहने पर पार्टी में शामिल किया था

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PATNA : प्रशांत किशोर को लेकर नीतीश कुमार के भी सब्र का बांध आज टूट गया. अमूमन सभ्य भाषा का प्रयोग करने वाले नीतीश प्रशांत किशोर को लेकर तू-तड़ाक पर उतर आये. कहा-अमित शाह जी के कहने पर पार्टी ज्वाइन कराया था. अब मन कुछ और होगा इसलिए ये सब कर रहा है.

PK पर नीतीश का गुस्सा
दरअसल मीडिया ने प्रशांत किशोर को लेकर नीतीश से सवाल पूछा था. सवाल ये था कि प्रशांत किशोर भाजपा के नेताओं पर हमला कर रहे हैं जो जदयू की साझीदार है. नीतीश बोले- ":छोड़िये न उससे क्या मतलब, जहां मन हो जाये. अब उ पार्टी में आया कैसे. हमको अमित शाह जी कहे-उसको ज्वाइन कराइये, उसके ज्वाइन कराइये. तब पार्टी में ज्वाइन कराये. भाई कोई कुछ करता है तो मन कुछ और होगा. कहीं जाने का मन होगा. स्‍ट्रैटजिस्‍ट के रूप में किसी-किसी का काम करता है. अखबार में आया है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी का काम कर रहा है."


2015 में प्रशांत किशोर को अपने साथ लाने वाले नीतीश कुमार ने PK के लिए ये तेवर पहले कभी नहीं दिखाया था. वे यहीं शांत नहीं हुए. नीतीश कुमार बोले - "ऐसे आदमी के बारे में हमलोगों से कुछ नहीं पूछिये. वहीं पूछ लीजिये कि रहियेगा कि नहीं रहियेगा पार्टी में. हमारे यहां रहेगा तो भी ठीक, नहीं रहेगा तो भी ठीक. हमको अब कोई मतलब नहीं है. लेकिन हां, अगर हमारे यहां रहेगा तो हमारी पार्टी का जो बुनियादी ढांचा है उसको अंगीकार करना होगा. ऐसे कोई पार्टी में नहीं रह सकता."


क्यों टूटा नीतीश के सब्र का बांध
सियासी जानकार समझते हैं कि प्रशांत किशोर नीतीश कुमार की आगे की रणनीति के अहम मोहरे हैं. नीतीश ने उन्हें उस वक्त के लिए सहेज कर रखा था जब बीजेपी से उनका गठबंधन टूटने की स्थिति उत्पन्न हो जाती. तब दूसरी पार्टियों से तालमेल में प्रशांत किशोर काम आते. कुछ दिनों पहले ये बात सामने आयी थी कि नीतीश कुमार ने लालू यादव से संपर्क साधा था. तब प्रशांत किशोर ही नीतीश का संदेश लेकर लालू यादव के पास गये थे. लेकिन अब परिस्थितियां बदल गयी हैं.

दरअसल नीतीश कुमार समझ रहे हैं कि अब अगर प्रशांत किशोर पर खामोश रहे तो नुकसान हो सकता है. जनता के बीच गलत मैसेज जा रहा है लेकिन उससे ज्यादा बीजेपी की नाराजगी का खतरा है. बीजेपी ये घोषित कर चुकी है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा जायेगा. लिहाजा नीतीश बीजेपी की ओर से निश्चिंत हो गये हैं. अब प्रशांत किशोर को प्रश्रय देने पर बीजेपी की नाराजगी का खतरा बढ़ सकता है.