पटना में कोरोना जांच के नाम पर फिर फर्जीवाड़ा, हजारों लोगों का मोबाइल नंबर निकला 0000000000

पटना में कोरोना जांच के नाम पर फिर फर्जीवाड़ा, हजारों लोगों का मोबाइल नंबर निकला 0000000000

PATNA : बिहार में कोरोना जांच में फर्जीवाड़े का सिलसिला अभी भी जारी है. मेडिकल अफसर लगातार मनमानी पर अड़े हुए हैं. उन्होंने सारा काम डाटा ऑपरेटरों पर छोड़ दिया है, जिससे फर्जी डाटा की फीडिंग हो रही है. ताजा मामला पटना के 1131 लोगों की कोरोना जांच के बाद उनके मोबाइल नंबर के आगे 0000000000 दर्ज करने का है. सिविल सर्जन के आदेश पर जांच में जो खुलासा हुआ है वह चौंकाने वाला है. डाटा ऑपरेटरों ने मोबाइल नंबर दर्ज करने के काम से पल्ला झाड़ने के लिए जांच कराने आए लोगों का मोबाइल नंबर ही गायब कर दिया. जांच के बाद लापरवाही का बड़ा खेल सामने आया है, जिसमें मेडिकल अफसरों को चेतावनी देते हुए 3 डाटा ऑपरेटरों को बर्खास्त कर दिया गया है. 


आपको बता दें कि विभागीय जांच में पाया गया कि 1 मई से 30 मई 2021 तक पटना में कुल 1131 जांच की जांच कराने वालों के मोबाइल नंबर के आगे शून्य दर्ज है. इसमें सबसे अधिक मामला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पटना सदर का है. यहां 595 लोगों के नंबर की जगह 0000000000 है. इस मामले की जांच में पाया गया कि जिन लोगों के नाम के आगे 0000000000 मोबाइल नंबर दर्ज था रजिस्टर में उनका मोबाइल नंबर लिखा था. इस गंभीर मामले में जब संबंधित डाटा कमिर्यों से पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि डाटा दर्ज करने में लगने वाली मेहनत से बचने के लिए वह संबंधित नाम के आगे मोबाइल नंबर की जगह जीरो-जीरो लिखते चले गए. 


प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पटना सदर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने मामले की जांच की.  उन्होंने बताया कि कोरोना जांच से संबंधित व्यक्ति का मोबाइल नंबर रजिस्टर में दर्ज है, लेकिन प्रखंड अनुश्रवण एवं मूल्यांकन सहायक मेघा कुमारी, विवेक कुमार और मनीष कुमार संजीवनी डेटा ऑपरेटर द्वारा मोबाइल नंबर नहीं दर्ज किया गया है. इसके लिए तीनों कर्मियों को दोषी बताया गया. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने तीनों पर कार्रवाई के लिए अनुशंसा कर दी. 


जांच में पाया गया कि मेघा कुमारी, प्रखंड अनुश्रवण व मूल्यांकन सहायक का काम लापरवाही वाला था. पहले भी उनका काम संतोषजनक नहीं रहा है. संजीवनी डाटा ऑपरेटर, उर्मिला इंटरनेशलन प्रालि के डाटा ऑपरेटर विवेक कुमार और मनीष कुमार द्वारा भी गंभीर लापरवाही की गई है. इनके इस काम से न सिर्फ विभाग की छवि आम जनमानस में धूमिल हुई है, बल्कि कोविड संक्रमण में किए गए जांच पर भी सवाल खड़ा हो गया है. इसके अलावा सिविल सर्जन ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को अपने देख रेख में डाटा इंट्री का निर्देश दिया था लेकिन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, पटना सदर द्वारा अपने स्तर से काम में लापरवाही की गई. ऐसे में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पटना सदर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं होने के लिए कड़ी चेतावनी दी गई है.