पटना में आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन, आरके सिन्हा हुए शामिल

पटना में आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन, आरके सिन्हा हुए शामिल

PATNA :  राजधानी पटना स्थित बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में सोमवार को आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया। आगामी 14 अगस्त तक चलने वाले इस व्याख्यान श्रृंखला में कई लोग अपना व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। इस व्याख्यान श्रृंखला के शुभारंभ के मौके पर मुख्य वक्ता के तौर पर राज्यसभा के पूर्व सांसद रविंद्र किशोर सिन्हा शामिल हुए। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलितकर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।


इस मौके पर आरके सिन्हा ने परम्परागत कृषि, स्वास्थ्य और भोजन व्यवस्था, सॉइल हेल्थ, पर्यावरण और देसी गौवंश पर प्रमुखता से बातें की। उन्होंने कहा कि नए-नए शोध पद्धतियों से पैदा हो रही गायें जिन्हें ए-वन ब्रीड कहा जाता है। उन्होंने बताया कि जर्सी और अन्य क्रॉस ब्रीड गायों का दूध पिछले सत्तर सालों में उत्पन्न कई खतरनाक बीमारियों का कारक रहा है। इन गायों के दूध से डायबिटीज, हाइपरटेंशन, मेन्टल डिसऑर्डर, गर्भ में पल रहे शिशुओं में विकार और कैंसर जैसी बीमारियों उत्पन्न हो रही हैं।


उन्होंने “गावो विश्वस्य मातरम्" का वर्णन किया औरकहा कि गाय पूरे विश्व की माता है, इस बात को कहने के पीछे का उद्देश्य बहुत गहरा है और बहुत प्रामाणिक है। मां का दूध जिस प्रकार मनुष्य के लिए अमृत है ठीक उसी प्रकार गाय के दूध का भी महत्व है। मां के दूध और गाय के दूध में किसी भी प्रकार का कोई अंतर नहीं है, यह शोध में पाया गया है। गाय के दूध का सेवन पूरे विश्व में किया जाता है इसलिए गाय पूरे विश्व की मां है।


उन्होंने कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कृषि हमारे भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत का  ट्रांसपोर्टेशन इंडस्ट्रीज फ़ूड ग्रेन्स के ट्रांसपोर्टेशन पर ही फल-फूल रहा है। गोबर और गौ-मूत्रके उपयोग से कृषि पर उन्होंने विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा की मिट्टी में गोबर का प्रयोग कर खेती करने से रसायन के ग्रहण से तो बचा ही जा सकता है साथ ही यह मिट्टी को भुरभुरा बनाकर वाटर होल्डिंग कपैसिटीको बढ़ता है। जिससे भू-जल में पानी की उपलब्धता बरक़रार रहेगी और जल संचयन किया जा सकता है। उन्होंने देसी गायों पर निर्भरता बढ़ाने पर विशेष बल दिया।


विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह ने कहा कि किसी प्रयोग या कार्य की एडवोकेसी करने वाले बहुत मिलेंगे मगर खुद पर उपयोग करने वाले लोग कम हैं, जो खुद में लागु कर पाते हैं वही चीज़ों को धरातल में हूबहू उतार पाते  है, जैसा आरके सिन्हा ने गौ-पालन कर किया है और प्रयोग किया है। उन्होंने कहा कि अपने देश के प्रदेश के गौवंश का संवर्धन करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि जो जिस परिवेश में जन्म लेते हैं वहीं बेहतर उत्पादकता देते हैं।


कार्यक्रम के शुरुआत में निदेशक स्नातकोत्तर शिक्षा डॉ. वीर सिंह राठौड़ ने स्वागत भाषण दिया। वहीं कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ.जे.के. प्रसाद ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. (कैप्टेन) आनंद गोपाल बंद्योपाध्याय, निदेशक प्रसार डॉ. ए.के. ठाकुर, डीन मात्स्यिकी महाविद्यालय, किशनगंज, डॉ. वेद प्रकाश सैनी, कार्यक्रम के आयोजन सचिव विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क पदाधिकारी सत्य कुमार, डॉ. अचर्नासहित तीनों अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षक, छात्र व कर्मचारी उपस्थित रहे।