पटना के प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु की सलाह, डायबिटीज के मरीजों के लिए आंखों की नियमित जांच जरूरी

पटना के प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु की सलाह, डायबिटीज के मरीजों के लिए आंखों की नियमित जांच जरूरी

PATNA : मानव शरीर में आंखों अत्यंत ही महत्पूर्ण और कोमल अंग है। आंखों की समस्या होने पर जरा सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है। राजधानी पटना के राजेंद्रनगर स्थित BSL आई केयर अस्पताल के निदेशक और प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु कुमार की मानें तो डायबिटीज के मरीजों को आंखों का विशेष ख्याल रखने की जरुरत होती है। थोड़ी सी सावधानी बरत कर मरीज अपनी आंखों को सुरक्षित रख सकते हैं।


डॉ. हिमांशु कुमार के मुताबिक अगर आपको डायबिटीज है और यह कंट्रोल नहीं है तो आंखों के पर्दे या रेटिना में सूजन आ सकती है। इसमें ब्लड भी आ सकता है। इसे डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। अगर इसका इलाज नहीं हो तो मरीज की आंखों की रोशनी जा सकती है और वह अंधेपन का शिकार हो सकता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करवानी चाहिए।


उन्होंने कहा कि अगर डायबिटीज कंट्रोल है तो भी वर्ष में एक बार आंखों के डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए। वहीं अगर अनियंत्रित है और इंसुलिन ले रहे हैं, तब हर तीन महीने पर आंखों की जांच करवानी चाहिए। समय पर जांच इसलिए जरूरी है कि इससे आंखों को नुकसान पहुंचने से पहले ही बचाया जा सकता है। डॉ हिमांशु कुमार ने बताया कि जिनके पर्दे फटने या उखड़ने वाले होते हैं अगर वे समय पर इलाज करवाएं तो इसे भी अब लेजर ट्रीटमेंट से रोका जा सकता है। पर्दे नहीं उखड़े इसके लिए अब बराज लेजर ट्रीटमेंट किया जाता है। 


वहीं डायबिटिक रेटिनोपैथी के कारण आंखों के पर्दे में होने वाली समस्या का इलाज लेजर से फोटो कागलेशन करके किया जाता है। ये दोनों ही ट्रीटमेंट ओपीडी में ही हो जाता है और मरीज थोड़ी देर बाद ही घर चला जाता है। डॉ हिमांशु कुमार ने बताया कि ये ट्रीटमेंट करने वाली मशीन उनके राजेंद्रनगर स्थित बीएसएल आई केयर अस्पताल में मौजूद है। यह जर्मनी से मंगवाई अत्याधुनिक तकनीक से लैस मशीन है। इससे आंखों के पर्दे को खराब होने से बचाया जा सकता है। डॉ हिमांशु कुमार कहते हैं कि आंखों के पर्दा का इलाज उसके बीमारी के स्टेज के अनुसार किया जाता है पहले हम इसे इंजेक्शन, लेजर ट्रीटमेंट आदि से ठीक करते है लेकिन अंतिम स्टेज में सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है।


डॉ हिमांशु ने बताया कि बीएसएल आई केयर NABH सर्टिफायड अस्पताल है। यहां मरीज आयुष्मान भारत योजना, CGHS की सुविधा सहित सभी तरह के इंश्योरेंस की कैश-लेस सुविधाओं का लाभ उठा सकते है। आयुष्मान कार्ड धारकों का अस्पताल में इस योजना के अंतर्गत निःशुल्क इलाज हो रहा है। आयुष्मान कार्ड है तो मरीज बिना कोई रुपए खर्च किए ही यहां आंखों की सभी तरह की सर्जरी करवा सकता है। बीएसएल आई केयर में आंखों की रूटीन जांच से लेकर मोतियाबिंद सर्जरी, ग्लूकोमा और रेटिना सर्जरी तथा विभिन्न तरह के लेजर ट्रीटमेंट की सुविधा उपलब्ध है। डॉ हिमांशु कुमार के नेतृत्व में अन्य डॉक्टर इस अस्पताल में पिछले 14 वर्षों से मरीजों की सेवा कर रहे हैं। 


पटना के डायबिटीज रोग विशेषज्ञ डॉ कुणाल कुंदन कहते हैं कि डायबिटीज अगर बढ़ा हुआ है तो इसका बुरा असर हमारी आंखों विशेष कर रेटिना पर पड़ता है। इसके कारण नसें बन जाती जो काफी कमजोर होती हैं। ये नसें खून के दबाव को बर्दाश्त नहीं कर पाती हैं और फट जाती हैं जिससे खून बहने लगता है। इस स्थिति को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। इससे मरीज का विजन खराब हो जाता है। उन्होंने कहा कि  कि डायबिटीज के कारण आंखों में मोतियाबिंद होने की भी संभावना ज्यादा होती है। इसके कारण आंखों का प्रेशर भी बढ़ जाता है। किसी तरह का घाव या संक्रमण होता है तो जल्दी ठीक नहीं होता है। इसलिए इस तरह की परिस्थितियों से बचने के लिए डायबिटीज को कंट्रोल में रखें। डॉक्टर की दी हुई दवाएं नियमित रूप से लेते रहे। संतुलित जीवनशैली अपनाएं। समय पर अपनी आंखों की जांच करवाएं।