पटना के मराठी परिवार की एकनाथ शिंदे ने बचायी जान: सिलेंडर ब्लास्ट में झुलसे 4 लोग, पूरी रात जाग कर शिंदे ने एयरलिफ्ट कराया

पटना के मराठी परिवार की एकनाथ शिंदे ने बचायी जान: सिलेंडर ब्लास्ट में झुलसे 4 लोग, पूरी रात जाग कर शिंदे ने एयरलिफ्ट कराया

PATNA: पिछले 4 दशक यानि 40 सालों से बिहार में रह रहे एक मराठी परिवार के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे देवदूत साबित हुए. इस मराठी परिवार के चार लोग सिलेंडर ब्लास्ट में बुरी तरह झुलस गये थे. पटना में इलाज का कोई सही इंतजाम नहीं था औऱ घायल लोगों की जिंदगी खतरे में पडी थी. तभी इस वाकये की जानकारी महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे को मिली. शिंदे ने इस परिवार को सही इलाज के लिए अपने खर्चे पर एयरलिफ्ट कराया. मराठी परिवार के तीन घायल पटना से एयर एंबुलेंस के जरिये पुणे पहुंच चुके हैं. खास बात ये भी कि इस परिवार को इलाज के लिए एयर लिफ्ट कराने के लिए एकनाथ शिंदे देर रात जागकर खुद मॉनिटरिंग करते रहे। 


इस वाकये के बाद महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की खूब तारीफ हो रही है. वहीं, बिहार में चिकित्सा व्यवस्था में सुधार के दावों की पोल भी खुली है. तकरीबन 12 करोड की आबादी वाले बिहार की राजधानी पटना में कोई बर्न हॉस्पीटल नहीं है. लिहाजा इस मराठी परिवार का इलाज नहीं हो पा रहा था. पीड़ित परिवार कह रहा है कि एकनाथ शिंदे इंसान नहीं भगवान हैं. अगर वे नहीं होते तो लोग इलाज के बिना तड़प तड़प कर मर जाते। 


ये है पूरी कहानी

पटना के बाकरगंज के नागेश्वदर कॉलोनी में अमोल जाधव अपने परिवार के साथ रहते हैं. उनका परिवार 1978 से ही बाकरगंज में रह रहा है, जहां उनका अपना तीन मंजिला मकान है. अमोल जाधव का अपना व्यवसाय भी है. 14 जुलाई की रात पूरा परिवार सोया था. रात के दो बजे अमोल जाधव की पत्नी रोहिणी की नींद खुली और वह वॉशरूम गयी. रोहिणी की नजर किचन में जलती हुई लाइट पर पडी. उन्होंने जैसे ही किचन के लाइट का स्वीच ऑफ किया वैसे ही धमाका हो गया. किचन में रखा सिलेंडर ब्लास्ट हो गया और तेज धमाका हुआ. इससे घर के खिड़की-दरवाजे सब उड़ गए. आग का तेज लपेटा पूरे घर में फैल गया और अमोल और उनकी पत्नी रोहिणी के साथ ही बेटी लिपिका और बेटा संग्राम गंभीर रूप से झुलस गए. धमाका इतना तेज था कि पूरा मोहल्ला दहल गया।


पटना में इलाज का कोई इंतजाम नहीं

आस-पास के लोग सिलेंडर विस्फोट से गंभीर रूप से झुलसे लोगों को पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल ले गये. वहां सिर्फ मरहम-पट्टी की गयी और कह दिया गया कि बर्न केस के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. घायलों को एक प्राइवेट हॉस्पीटल अपोलो बर्न हॉस्पिटल ले जाया गया. लेकिन, उस अस्पताल में भी कहा गया कि यहां वेंटिलेटर नहीं है इसलिए कहीं और ले जायें. घायलों को लेकर लोग पटना के अस्पतालों में भटकते रहे लेकिन इलाज की कोई व्यवस्था नहीं थी. इस बीच अमोल जाधव के भाई  किरण जाधव को वाकये की जानकारी दी गयी. किरण जाधव पेशे से डॉक्टर हैं औऱ पूणे में रहते हैं. किरण जाधव ने पटना के पारस अस्पताल में बात की औऱ वहां घायलों को भर्ती करवाया. लेकिन पारस अस्पताल में भी बर्न केसेज के लिए कोई अलग व्यवस्था नहीं है, लिहाजा सिर्फ प्रारंभिक इलाज किया जा रहा था।


एकनाथ शिंदे बने देवदूत

अमोल जाधव के भाई किरण जाधव ने बताया कि घटना की खबर मिलते ही वे पुणे से पटना पहुंचे. यहां देखा कि भाभी रोहिणी की हालत सबसे खराब है. डॉ किरण जाधव ने अपने खर्चे पर लगभग साढे 10 लाख रूपये में एयर एंबुलेंस बुक किया. उससे अपनी भाभी रोहिणी को पटना से पुणे के सूर्या अस्पताल में पहुंचवाया. किरण जाधव उसी एयर एंबुलेंस से दूसरे घायलों को भी भेजना चाहते थे लेकिन एयर एंबुलेंस में सिर्फ एक मरीज को ले जाने की ही व्यवस्था थी. पटना एयरपोर्ट ऑथरिटी ने भी एक से ज्यादा मरीजों को ले जाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया. एयर ऑथरिटी ने कहा कि तीन मरीजों को ले जाने के लिए वे तीन दफे एयर एंबुलेंस का इंतजाम करें। 


डॉ. किरण जाधव ने मीडिया को बताया कि वे पूरी तरह निराश हो गये थे. उनके भाई और परिवार के दूसरे सदस्य मरणासन्न स्थिति में पहुंचते जा रहे थे और वे इलाज का कोई इंतजाम नहीं कर पा रहे थे. निराश किरण जाधव पटना में बैठ कर लोगों से मदद की गुहार लगा रहे थे कि 16 जुलाई की रात साढ़े 11 बजे उनके मोबाइल पर मुंबई से मुख्यमंत्री आवास से फोन आ गया. लाइन पर सीधे महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे थे। 


बिना मदद मांगे ही आगे आये एकनाथ शिंदे  

दरअसल, डॉ. किरण जाधव का एक दूर के रिश्तेदार का परिचित महाराष्ट्र के सीएम हाउस में काम करता है. उसे इस वाकये की जानकारी थी. उसने ही महाराष्ट्र के सीएम के पीए को बताया कि उसके परिचित का परिवार पटना में इलाज के अभाव में मरने के कगार पर है. पीएम ने अपने साहब को इसकी जानकारी दी और जैसे ही इसकी खबर मिली वैसे ही एकनाथ शिंदे एक्टिव हो गये. 16 जुलाई की रात एकनाथ शिंदे ने खुद किरण जाधव से बात की. उन्होंने पूरी बात समझी औऱ दिलासा दिलाया कि 12 घंटे के भीतर उन्हें सारी मदद मिल जायेगी. 16 जुलाई की रात साढ़े 11 बजे बात हुई और 17 जुलाई की सुबह पटना में एकनाथ शिंदे की ओर से भेजा गया एयर एबुंलेंस पहुंच गया।


पीड़ित बोले-भगवान हैं शिंदे

डॉ. किरण ने मीडिया को बताया कि पटना से पुणे लाने के लिए सरकारी खर्च पर एयर एंबुलेंस नहीं मिल रही थी. लेकिन सीएम एकनाथ शिंदे ने खुद के खर्च पर दो दफे पटना में एयर एंबुलेंस भेजा. पटना में गंभीर हालत में पड़े घायलों को पुणे एयर एंबुलेंस से भेजा गया, जहां इलाज के लिए सूर्या हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. डॉ. किरण जाधव ने बताया कि वे एकनाथ शिंदे से कभी नहीं मिले हैं और ना ही उनसे किसी तरह की कोई जान पहचान है।


डॉ किरण बोले- मैं तो अपने परिवार के इलाज के लिए पटना में भटक रहा था. पटना में जितने लोगों से जान पहचान हैं उनसे  मदद मांग रहा था, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही थी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री तक बात पहुंचाने की तो उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी. लेकिन फरिश्ता बनकर एकनाथ शिंदे आगे आये और अपने निजी खर्च से एयर एंबुलेंस भेजा. डॉ किरण ने कहा कि अब उन्हें उम्मीद है कि उनका  परिवार बच जायेगा। 


डॉ. किरण ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि बिहार के लिए भी हीरो बन गए हैं. बिहार सरकार कम से कम इतना तो करे कि यहां एक बर्न हॉस्पीटल बना दे. 12 करोड़ की आबादी वाले बिहार में एक भी बर्न हॉस्पीटल न होना कितनी दुखद बात है।


बता दें कि अमोल और किरण जाधव के पिता 1978 में ही महाराष्ट्र से पटना आये थे. वे पटना के बाकरगंज में सोने चांदी का काम करते थे. पिता की मौत के बाद अमोल जाधव ने उनका काम धंधा संभाल लिया. अमोल के भाई किरण जाधव की पढ़ाई तो पटना में ही हुई लेकिन उसके बाद वे मेडिकल की पढाई करने बाहर गये. डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने महाराष्ट्र के पुणे में अपना अस्पताल खोल लिया है।