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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 01 Feb 2023 08:25:36 AM IST
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PATNA : बिहार में शिक्षक नियोजन में गड़बडी से खफा पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को सख्त कदम उठाया. कोर्ट के आदेश के बावजूद नियुक्ति में गड़बडी हुई. नाराज कोर्ट ने DEO यानि जिला शिक्षा पदाधिकारी को इसके लिए जिम्मेवार माना. इसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी से 50 हजार रूपये जुर्माना वसूलने के साथ साथ उन्हें बेऊर जेल भेजने का आदेश जारी कर दिया गया.
मामला बिहार के पूर्वी चंपारण जिले का था. पूर्वी चंपारण के जिला शिक्षा पदाधिकारी को पटना हाईकोर्ट के आदेश को नजरअंदाज करना काफी महंगा पड़ा. हाईकोर्ट ने जिला शिक्षा पदाधिकारी ललित नारायण रजक को गिरफ्तार कर बेऊर केंद्रीय कारा भेजने का आदेश जारी कर दिया. जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा की बेंच ने मामले पर सुनवाई के बाद ये पाया कि डीईओ ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया.
अदालत का आदेश नहीं मानने के दोषी डीईओ को 2 दिन का कारावास और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया. हालांकि सजा सुनाने के बाद कोर्ट ने कानूनी प्रावधान के तहत डीईओ को मौका दिया. उन्हें अपील दायर कर इस आदेश को चुनौती देने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी गयी. कोर्ट ने आदेश दिया कि 20 हजार रुपये के मुचलके पर को फिलहाल सजा को निलंबित रखा जाये.
मामला पंचायत शिक्षक नियोजन में गड़बड़ी का है. पूर्वी चंपारण जिले में पंचायत शिक्षक के पद पर बहाल कुमारी पूनम को सेवा से हटाकर उनकी जगह मुन्नी कुमारी को नियुक्त करने का आदेश जिला शिक्षक नियुक्ति अपीलीय प्राधिकार ने दिया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने मामले को रिमांड कर दिया, जिसके बाद जिला शिक्षक नियुक्ति अपीलीय प्राधिकार ने बनारसी कुमार साहनी की नियुक्ति को गलत ठहराते हुए उनकी जगह कुमारी पूनम को नियुक्त करने का आदेश दिया. वहीं, पूनम कुमारी की जगह मुन्नी कुमारी को बहाल करने का आदेश दिया गया.
शिक्षक पद से हटाये गये बनारसी कुमार सहनी ने इस आदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी. बनासरी सहनी ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को आवेदन देकर ये शिकायत भी की थी कि पूनम कुमारी के प्रमाण पत्र जाली हैं. बीईओ ने पूरे मामले को जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास भेज दिया. डीईओ ने पूनम कुमार के वेतन उठाव पर रोक लगाते हुए सभी प्रमाण पत्र के साथ हाजिर होने का आदेश दिया. पूनम कुमारी ने अपने सारे प्रमाण पत्र जांच के लिए सौंप दिए. डीईओ ने उसे जांच के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को भेज दिया. परीक्षा समिति ने सभी सर्टिफिकेट को सही करार दिया. लेकिन इसी बीच ग्राम पंचायत ने विशेष बैठक कर बनारसी सहनी को शिक्षक के पद पर बहाल कर दिया और पूनम कुमारी को की नियुक्ति को रद्द कर दिया.