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04-Feb-2022 07:44 PM
PATNA: सहरसा में पप्पू देव की पुलिस हिरासत में मौत के मामले में अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आय़ोग ने दखल दिया है. आय़ोग ने बिहार पुलिस औऱ सरकार पर गंभीर सवाल खड़ा करते हुए पूछा है कि पुलिस कस्टडी में मौत होने के बावजूद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को 24 घंटे के भीतर क्यों नहीं सूचित किया गया. आयोग ने इस मामले से जुड़े तथ्य को पेश करने का निर्देश दिया है।
कौशलेंद्र नारायण की शिकायत पर कार्रवाई
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जहानाबाद के रहने वाले कौशलेंद्र नारायण की शिकायत मिलने के बाद जवाब मांगा है। आय़ोग को भेजी गयी शिकायत में आरोप लगाया गया था कि पुलिस के टार्चर के कारण पप्पू देव की हिरासत में मौत हो गयी. मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए बिहार के डीजीपी, सहरसा के जिलाधिकारी, सहरसा की एसपी को पत्र भेजा है. उनसे 6 हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा गया है।
मौत से जुड़ा हर विवरण मांगा
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पप्पू यादव की मौत से जुड़ा हर विवरण मांगा है. उसने पूछा है कि पप्पू देव की गिरफ्तारी कब हुई थी. उसका समय, जगह औऱ गिरफ्तारी का कारण क्या था. पप्पू देव के खिलाफ क्या शिकायत थी औऱ उसे लेकर कौन सी एफआईआर दर्ज हुई थी. पुलिस ने पप्पू देव को अरेस्ट किया तो अरेस्ट मेमो कहां है. क्या गिरफ्तारी की सूचना पप्पू देव के परिजनों को दी गयी थी. पप्पू देव के पास से जो सामान बरामद हुए उसका मेमो कहां है. मानवाधिकार आयोग ने मृत्यु का सर्टिफिकेट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत मौत से जुड़े तमाम कागजात मांगे हैं. पोस्टमार्टम के वक्त की वीडियो रिकार्डिंग से लेकर बेसरा रिपोर्ट तक की मांग की गयी है।
क्या मजेस्ट्रियल जांच हुई थी?
मानवाधिकार आयोग ने पूछा है कि पप्पू देव की पुलिस हिरासत में हुई मौत की मजेस्ट्रियल जांच हुई थी? अगर जांच हुई थी तो वह रिपोर्ट कहा हैं. मजेस्ट्रियल जांच के आधार पर क्या कार्रवाई की गयी. क्या किसी पुलिसकर्मी के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया. क्या सरकार ने इस मामले की सीआईडी जांच करायी है. मानवाधिकार आयोग ने 6 सप्ताह के भीतर सारी जानकारी देने को कहा है।
मानवाधिकार आय़ोग को सूचना क्यों नहीं दी?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आय़ोग ने पूछा है कि पुलिस हिरासत में मौत के इस मामले में 24 घंटे के भीतर आयोग को जानकारी क्यों नहीं दी गयी. दरअसल पुलिस हिरासत में मौत के मामले की जानकारी तत्काल मानवाधिकार आय़ोग को देने का नियम है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के राज्य मानवाधिकार आय़ोग को से भी जवाब मांगा है. क्या बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने पुलिस हिरासत में मौत के इस मामले में कोई संज्ञान लिया. अगर राज्य मानवाधिकार आय़ोग ने संज्ञान लिया तो क्या कार्रवाई की।
हम आपको बता दें कि सहरसा में पिछले 25 दिसंबर को पुलिस हिरासत में पप्पू देव की मौत हुई थी. पुलिस ने कहा था कि हिरासत में लिये जाने के बाद पप्पू देव को हार्ट अटैक आया था जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था. लेकिन पप्पू देव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुलिस की सारी कहानी गलत साबित हो गयी. पप्पू देव की पोस्टमॉटम करने वाली तीन डॉक्टरों की टीम की रिपोर्ट में कहा गया कि ब्रेन की नस फटने के बाद सिर में पूरा खून जमा हो गया था, इस वजह से हार्ट और सांस लेने का पूरा सिस्टम फेल हो गया और मौत हो गयी. पप्पू देव के ब्रेन की नस फटने के बाद जहां खून जमा हुआ था उसके ठीक बाहर यानि बायें ललाट के ठीक उपर चोट का गंभीर निशान था. मेडिकल टर्म में इसे ब्रूज कहा जाता है. डॉक्टरों ने लिखा था कि बायें ललाट के उपर 2 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा ब्रूज था।
मेडिकल टर्म में डॉक्टरों की टीम ने लिखा था कि ब्रेन में हेमाटोमा के कारण कार्डियो रेसपिटरी सिस्टम फेल हो गया था जिसके कारण मौत हुई. पप्पू देव के सिर का नस वहां फटा है जहां बाहर चोट का गंभीर निशान था. साथ ही पप्पू देव की शरीर पर जख्म के 30 गंभीर निशान थे. सारे के सारे निशान किसी कठोर और भोथरे समान जिसे रिपोर्ट में हार्ड एंड ब्लंट कहा गया है से मारे जाने की वजह से हुई।