PATNA: जिस पार्टी की बुनियाद ही बीजेपी का विरोध हो, आखिरकार उसी पार्टी के विधायक आज बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार से क्या बात करने गये. बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के पांचों विधायक आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिल आये. पहले बंद कमरे में बातचीत की, फिर चाय-नाश्ता हुआ आखिर में मुस्कुराते हुए तस्वीर खिंचवायी. मुख्यमंत्री से मिलकर मुस्कुराते चेहरे के साथ जब ओवैसी के विधायक बाहर निकले तो कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए बात करने गये थे. लेकिन सियासी गलियारे में हो रही चर्चायें कुछ और कह रही हैं. ये बीजेपी और जेडीयू में चल रहे शह-मात के खेल में नीतीश की एक और चाल थी.
क्या जेडीयू में शामिल होंगे AIMIM के विधायक?
पिछले विधानसभा चुनाव में बिहार से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के पांच विधायक चुने गये. पांचों विधायक आज अचानक से सीएम हाउस पहुंच गये. तकरीबन एक घंटे तक वहीं जमे रहे. नीतीश कुमार के साथ उनके खास सिपाहसलार और राज्य सरकार में मंत्री विजय चौधरी भी उस दौरान मौजूद थे. सूत्रों से मिल रही खबर के मुताबिक ओवैसी के विधायकों ने नीतीश कुमार से बंद कमरे में लंबी बातचीत की. सियासी गलियारे में खबर फैली कि कभी भी ये विधायक पाला बदल कर जेडीयू का दामन थाम सकते हैं.
वैसे, AIMIM यानि ओवैसी की पार्टी के विधायकों ने इसे गलत करार दिया. उनका कहना था कि वे सीमांचल के विकास के लिए बात करने बिहार के मुख्यमंत्री के पास गये थे. इसका कोई सियासी मतलब नहीं निकाला जाना चाहिये. लेकिन सियासत में कोई मुलाकात और बात बेतमलब नहीं होती. ओवैसी के सारे विधायक आज अगर नीतीश कुमार के आवास पहुंच गये तो इसके कोई न कोई मायने जरूर हैं.
फिलहाल पाला बदलने का चांस नहीं
हालांकि ओवैसी की पार्टी के विधायकों के फिलहाल पाला बदलने के चांस न के बराबर हैं. नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सरकार चला रहे हैं. ओवैसी की पार्टी के पांचों विधायक उन क्षेत्रों से जीत कर आये हैं जहां सिर्फ मुसलमान वोटरों के सहारे जीत हासिल हो सकती है. ओवैसी के विधायक अगर बीजेपी के साथ वाली सरकार में गये तो अपने क्षेत्र से हाथ धो बैठेंगे. लिहाजा वे तब तक जेडीयू में नहीं जा सकते जब तक बीजेपी सरकार में शामिल है. और ओवैसी की पार्टी में इतने विधायक हैं नहीं कि नीतीश उनके साथ मिलकर सरकार बना लें. ऐसे में AIMIM के विधायक अभी पाला बदल लेंगे इसकी संभावना फिलहाल नहीं है.
नीतीश और बीजेपी में शह-मात का खेल
सियासत को समझने वाला हर आदमी ये जानता है कि ओवैसी की पार्टी और बीजेपी के बीच रिश्ता क्या है. दोनों का सियासत एक दूसरे के विरोध की बुनियाद पर ही चलती है. नीतीश कुमार इस दफे पूरी तरह से बीजेपी की कृपा से मुख्यमंत्री बने हैं. लेकिन सीएम बनने के बाद वे बीजेपी के सबसे बड़े विरोधियों को बुलाकर चाय-नाश्ता करा रहे हैं. साथ ही ये मैसेज देने की भी कोशिश की जा रही है कि मुख्यमंत्री ओवैसी की पार्टी के विधायकों के साथ बैठक कर सीमांचल के विकास पर चर्चा कर रहे हैं. सीमांचल वो इलाका है जिसे बीजेपी अपना मजबूत पकड़ वाला क्षेत्र मानती है. उस क्षेत्र के विकास की चर्चा ओवैसी के पार्टी के विधायकों के साथ की जा रही है. नीतीश जानते हैं कि इस मुलाकात के बाद बीजेपी में बेचैनी होगी. जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार बीजेपी को बेचैन करना चाह भी रहे हैं.
भविष्य की प्लानिंग में नीतीश
दरअसल नीतीश अच्छे से समझते हैं कि वे ऐसे जो भी काम कर लें, बीजेपी फिलहाल उनका साथ छोड़ने नहीं जा रही है. लिहाजा उनकी गद्दी पर कोई खतरा नहीं है. जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार उस दिन की तैयारी में हैं जब बीजेपी उनका साथ छोड़ देगी. आज की जा रही तैयारियां उस दिन उनके काम आयेंगी. नीतीश ये भी समझते हैं कि बीजेपी हमेशा के लिए उन्हें मुख्यमंत्री बनाये नहीं रखेगी. उस दिन नीतीश के पास बीजेपी विरोधी वोटरों का ही सहारा होगा. नीतीश कुमार अभी से उस वोट बैंक को अपने साथ जोड़े रखना चाहते हैं.
इस बीच वे जनता को ये भी मैसेज देना चाहते हैं कि वे कमजोर नहीं है. लिहाजा जिन्हें पार्टी में शामिल कराया जा सकता है उन्हें शामिल कराया जा रहा है. बहुजन समाज पार्टी के एकमात्र विधायक जेडीयू में जा चुके हैं. बहुत मान मनौव्वल कर निर्दलीय सुमित सिंह को जेडीयू के साथ खड़ा किया गया है. लोजपा के एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह को अशोक चौधरी मुख्यमंत्री आवास तक पहुंचा चुके हैं. जानकार बता रहे हैं कि उनका जेडीयू में शामिल हो जाना एक औपचारिकता भर बची है. दो-तीन विधायकों को पार्टी में शामिल करा लेने से नीतीश कुमार की ताकत बहुत नहीं बढ जायेगी. लेकिन जनता के बीच एक मैसेज जरूर जायेगा कि नीतीश कमजोर नहीं मजबूत हैं.