PATNA : भारतीय राजनीति में मौसम वैज्ञानिक के रूप में पहचान रखने वाले स्वर्गीय राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान अब राजनीतिक भविष्यवाणी का जोखिम उठाने लगे हैं. चिराग पासवान एलजेपी में चल रहे मौजूदा सियासी संकट के बीच बिहार को लेकर अब बड़ी बात कह गए हैं. चिराग पासवान ने दावा किया है कि बिहार में विधानसभा का चुनाव लोकसभा चुनाव के पहले हो जाएगा. एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने दावा किया है कि नीतीश सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं करेगी और लोकसभा चुनाव के पहले हर हाल में विधानसभा का चुनाव होगा.
लोक जनशक्ति पार्टी में मौजूदा संकट पर बेबाकी से अपनी बात रखते हुए चिराग पासवान ने समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि उनकी पार्टी का संविधान बेहद स्पष्ट है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के स्वरूप और उसके फैसलों के साथ-साथ अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया को लेकर कहीं कोई कंफ्यूजन नहीं है. संसदीय दल का नेता चुने जाने का दावा करने वाले उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा अध्यक्ष ने भले ही इसकी मान्यता दी हो, लेकिन उन्होंने अपनी बात स्पीकर ओम बिरला तक पहुंचा दी है.
चिराग ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि लोक जनशक्ति पार्टी का संविधान समझने के बाद वह अपने फैसले को बदलेंगे. चिराग पासवान ने कहा कि वह परिवार और पार्टी दोनों में से किसी को टूटने नहीं देना चाहते थे. परिवार और पार्टी को बचाने के लिए वह अपने चाचा पशुपति पारस के घर भी पहुंचे थे. लेकिन वहां जो कुछ हुआ वह सभी ने देखा. चिराग पासवान ने एक बार फिर भरोसा जताया है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उनके पास पूर्ण बहुमत है और पार्टी का पूरा संगठन. जिला की इकाई सभी उनके नेतृत्व के साथ खड़े हैं. चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस को विरोधी खेमे की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने को हास्यास्पद भी करार दिया है.
बिहार में नीतीश सरकार के भविष्य को लेकर चिराग पासवान ने कहा है कि यह बात तय है कि बिहार में लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा का चुनाव होगा. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हम जल्द ही अपने गठबंधन को लेकर फैसला भी करने वाले हैं. चिराग ने कहा कि आगे लोक जनशक्ति पार्टी का गठबंधन कैसा होगा और किन दलों के साथ होगा, इसको लेकर भी फैसला जल्द कर लिया जाएगा.
चिराग पासवान ने कहा कि नीतीश कुमार एनडीए में रातोंरात वापसी जरूर कर गए थे लेकिन उन्होंने एनडीए में शामिल घटक दलों के ऊपर अपनी नीतियों को थोपना चाहा. लोक जनशक्ति पार्टी इसके लिए तैयार नहीं थी. हम बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के एजेंडे के साथ काम करना चाहते थे. हम चाहते थे कि एनडीए के एजेंडे में नीतीश कुमार के एजेंडे के साथ घटक दलों का एजेंडा भी शामिल हो, लेकिन नीतीश कुमार ने यह शर्त नहीं मानी.