PATNA : बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने लालूवाद से जुड़ा आठवां सवाल पूछा है. नीरज कुमार ने राजद सुप्रीमो पर बड़ा हमला करते हुए उनपर आरोप लगाया कि लालू राज में महिलाओं को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा था. उन्होंने कहा कि राबड़ी देवी बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं लेकिन महिला होने के बावजूद भी प्रदेश की महिलाओं की दुर्दशा नहीं समझ पाई या फिर जातिवादी राजनीति RJD को इतना भा गया कि आधी आबादी के दर्द के साथ अन्याय करते रह गईं.
उन्होंने कहा कि ये प्रदेश की महिलाओं के साथ अन्याय ही था. जब 2005 में नीतीश कुमार सरकार में आए तो महिलाओं की हालत दयनीय थी. तथाकथित लालूवाद वाले सामाजिक बदलाव के स्वघोषित पूरोधाओं ने सामाजिक बदलाव के नाम पर प्रदेश में सामाजिक समरसता, शांति, जातिवाद और एक दूसरे के लिए वैमनस्यर बढ़ाने के अलवा और कुछ नहीं किया.
नीरज ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन के स्वघोषित पूरोधा या तो स्वीकार करें कि उनके नज़रों में महिलाओं का सशक्तिकरण सामाजिक बदलाव का प्रतीक नहीं है या ये कहें कि बिना आधी आबादी (महिला) को साथ लिए सामाजिक बदलाव हो सकता है और अगर ये नहीं स्वीकार करते हैं तो फिर वो क्षेत्र बताएं जिस क्षेत्र में नीतीश सरकार ने महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य नहीं किया है और साथ-साथ दो चार उन कार्यों का भी हवाला दे दें जो RJD के पंद्रह वर्षों के कार्यकाल के दौरान महिलाओं के उत्थान के लिए किया गया था.
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिलाओं के मामले में सामाजिक मौन परिवर्तन के वाहक हैं. नीतीश कुमार महिलाओं के उत्थाीन के लिए कई साहसी कदम उठाते हुए सात निश्च य पार्ट-1 में 'आरक्षित रोजगार, महिलाओं का अधिकार' एवं सात निश्चकय पार्ट-2 में 'सशक्त महिला, सक्षम महिला' जैसे संकल्प् के साथ सक्षम बिहार स्वामबलम्बीर बिहार बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं.
बिहार की महिलाओं की अपने आप को सशक्त करने की इच्छाशक्ति सिर्फ़ एक आंकड़े से लगाया जा सकता है. UGC द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार वर्ष 2004-05 के दौरान बिहार के ग्रामीण महिलाओं का शिक्षा के लिए प्रवेश लेने का अनुपात मात्र 1.21% (पूरे देश में सबसे निचला स्थान) था जबकि शहरी क्षेत्र में ये 20.85% (देश में पांचवां स्थान) था. इस आंकड़े से साफ़ झलकता है कि अगर बिहार की महिला शक्ति को सही से पहचान लिया जाय और उन्हें न्यूनतम मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध करवा दिया जाय तो बिहार को शीर्ष राज्यों की श्रेणी में लाने का पूरा दम-ख़म रखती है. UGC भी अपने रिपोर्ट में इन आंकड़ों पर आश्चर्य जताता है.
नीरज कुमार ने बताया कि बिहार के महिला शक्ति की इस क्षमता को नीतीश सरकार ने बखूबी पहचाना और किसी जाति विशेष के लोगों की जगह महिला समाज को सामाजिक बदलाव के पूरोधा के रूप में चुना. अपने पंद्रह वर्ष के कार्यकाल में नीतीश सरकार ने दस लाख से अधिक महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा, उन्हें संगठित किया गया, आर्थिक सहायता दी गई, स्कूमल से लेकर यूनिवर्सिटी/कॉलेज तक शिक्षित करने के लिए हर तरह से प्रोत्साहित किया गया, विभिन्न नौकरियों से लेकर स्थानीय चुनावों में महिलाओं को 33 से 50 प्रतिशत तक आरक्षण देकर उनके हाथों में नेतृत्व दिया और बिहार को समग्र विकास की ओर अग्रसित किया.
उन्होंने बताया कि बिहार में 2005 से 2020 के बीच महिलाओं की जनसंख्या में एक चौथाई की भी वृद्धि नहीं हुई है लेकिन 10वीं, 12वीं या स्नातक व स्नातकोत्तर तक पढ़ाई करने वाले लड़कियों की संख्यं में चार से छः गुना तक की वृद्धि हुई है जो पूरे हिंदुस्तान में सर्वाधिक है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई योजनाऍं चला रही है:-
• महिला सशक्तिकरण की दिशा में महिलाओं के लिए पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण से शुरूआत की. प्राथमिक शिक्षक नियोजन में भी 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया.
● फिर पुलिस में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया. अब महिलाओं को सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण. राज्य में पहली बार महिला बटालियन तथा अनु० जनजाति की महिलाओं के लिए स्वाभिमान बटालियन का गठन सभी 40 पुलिस जिलों में महिला थानों का गठन. हुनर एवं औजार कार्यक्रम के तहत स्वरोजगार हेतु महिलाओं को प्रशिक्षण.
● अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को 20 ट्रेडों में प्रशिक्षित किया गया है. "औजार" कार्यक्रम के तहत टूल किट दिए गए हैं.
● बाद में अनु० जाति / जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को भी जोड़ा गया.
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना: बेटियों के स्वावलंबन के लिए योजना जारी -
● जन्म से लेकर स्नातक शिक्षा तक कुल 54100 /- रुपये की प्रोत्साहन राशि.
• इसके तहत कन्या के जन्म पर 2000 रूपये, एक वर्ष की आयु तथा आधार पंजीयन पर 1000 रूपये तथा 2 वर्ष की आयु होने पर सम्पूर्ण टीकाकरण कराने पर 2000 रूपये.
● पोशाक योजना के तहत वर्ग 1-2 के लिए पोशाक की राशि को 600 रूपए, वर्ग 3-5 के लिए पोशाक की राशि को 700 राशि रुपए, वर्ग 6-8 के लिए पो एक की राशि 1000 रुपये तथा वर्ग 9-12 के लिए पोशाक की राशि 1,500 रुपये दिये जाते हैं.
• मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना में (सैनेटरी नैपकीन के लिए) 300 रूपए की राशि 7-12 वर्ग की बालिकाओं को देय है.
• 12वीं पास करने पर अविवाहित बालिकाओं को 10 हजार रुपये तथा स्नातक करने पर सभी बालिकाओं को 25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है.
• महिला उद्यमिता हेतु विशेष योजना महिलाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजना लाई जाएगी जिसमें उनके द्वारा लगाए जा रहे उद्यमों में परियोजना लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 5 लाख रुपये तक का अनुदान तथा अधिकतम 5 लाख रुपये तक ब्याज मुफ्त ऋण दिया जायेगा.
• जीविका : सशक्तीकरण का सशक्त माध्यम महिलाओं के विकास, सशक्तीकरण एवं गरीबी उन्मूलन के लिए जीविका सशक्त कार्यक्रम है. 2007 में बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन परियोजना (जीविका) शुरु हुई. इसके अंतर्गत गरीबों के संस्थागत संगठनों का निर्माण कर जीविकोपार्जन के लिए वित्तीय सहयोग, सूक्ष्म ऋण तथा लेखा प्रबंधन के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है. जीविका के प्रयासों का नतीजा है कि महिलाओं में निर्णय लेने की क्षमता का विकास हुआ और वे अपने शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों के प्रति सजग हुई हैं.