PATNA : बीजेपी नेताओं को भले ही देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम से एलर्जी हो, लेकिन नीतीश कुमार के साथ ऐसा नहीं है. बिहार में बीजेपी के साथ सरकार चला रहे नीतीश कुमार पंडित नेहरू के जबरदस्त कायल हैं. यही वजह है कि उन्होंने पटना की सबसे प्रमुख सड़क का नाम बदलकर पंडित नेहरू के नाम पर कर दिया है. बिहार कैबिनेट ने बुधवार को पटना के बेली रोड का नाम बदलकर नेहरू पथ किए जाने को मंजूरी दे दी. खास बात यह है कि बीजेपी के सरकार में होने के बावजूद बेली रोड का नाम नेहरू पर किया गया. कैबिनेट में शामिल किसी बीजेपी के मंत्री ने सरकार के इस फैसले पर चूं तक नहीं की. नीतीश कुमार ने यह जानते हुए बेली रोड का नाम नेहरू पथ किया कि बीजेपी इन दिनों पंडित नेहरू पर हमलावर है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर नेहरू के बहाने किसे साधने की कोशिश कर रहे हैं.
आखिर क्यों रखा नेहरू का नाम
बिहार में भले ही बीजेपी-जदयू की सरकार है, लेकिन सीएम नीतीश कुमार बीजेपी के एजेंडा पर अपने ही तरीके से अपने अंदाज में जवाब देते हैं, जब धारा 370 के जन जागरूकता कार्यक्रम पर बीजेपी के बड़े नेता से लेकर छोटे नेता नेहरू को पटना समेत कई जगहों पर कोस रहे थे उसके कुछ दिनों के बाद ही नीतीश कुमार ने पटना में बेली रोड का नाम बदलकर नेहरू पथ कर दिया. नीतीश ने बताया दिया कि नेहरू के नाम से कितना लगाव है. नीतीश चाहते तो बिहार के ही किसी महापुरूष के नाम नेहरू के बदले कर सकते थे. लेकिन नेहरू के बहाने उन्होंने एक कड़ा मैसेज बीजेपी को दे ही दिया है.
बीजेपी के कारण अपने रिश्ते खराब नहीं करना चाहते हैं नीतीश
भले ही नीतीश बिहार में बीजेपी के सहयोग से सरकार चला रहे हो, लेकिन बीजेपी के कारण वह बाकी विपक्षी दलों से रिश्ता खराब करना नहीं चाहते हैं. यही कारण है कि वह कभी कांग्रेस के बड़े नेताओं को खुलकर विरोध नहीं करते हैं. क्योंकि राजनीति में कब क्या हो जाए, कब किसकी जरूरत पड़ जाए कहा नहीं जा सकता, यही कारण है बीजेपी के घोर विरोधी ममता बनर्जी के साथ भी उनके अच्छे संबंध हैं. यहां तक की जब वह राजद पर भी कुछ बोलते हैं तो खुलकर किसी नेता का नाम नहीं लेते हैं.