PATNA: नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है. मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कई हजार सालों तक ब्रह्मचारी रहकर घोर तपस्या की थी. उनकी इस कठिन तपस्या के कारण ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ गया.
कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
इनका रुप अति मनोहर है और अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करनेवाली हैं. मां को चीनी का भोग लगता है और ब्राह्मण को भी दान में चीनी दी जाती है. मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा के सामने पुष्प, दीपक, नैवेद्य अर्पण कर स्वच्छ कपड़े पहनें और इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें.
दधानां करपद्याभ्यामक्षमालाकमण्डल।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से कुंडली में विराजमान बुरे ग्रहों की दशा सुधरती है. इनकी पूजा से भगवान महादेव भी प्रसन्न होकर भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं.
हाथी पर सवार होकर आई है मां
आपको बता दें कि काफी काफी समय बाद शारदीय नवरात्र व्रत पूरे नौ दिन के होंगे. 29 सितंबर से शुरु हुए नवरात्र 8 अक्तूबर तक चलेगा. देवी भगवती इस बार हाथी पर सवार होकर आई हैं और घोड़े पर उनकी विदाई होगी. हाथी दिग-दिगंत का प्रतीक है. वर्षा और प्रकृति का प्रतीक भी है. हाथी की सवारी शुभ मानी गई है और यह कहा जाता है कि धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहेगी.