PATNA: ज्यादा दिनों पहले की बात नहीं है जब बिहार के पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके ये कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें मिलने तक का समय नहीं देते. नरेंद्र सिंह अपना दर्द बता रहे थे कि कैसे उन्होंने ही 2005 में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनवाया था, लेकिन नीतीश कुमार इतने बड़े धोखेबाज हो गये कि दर्जनों बार फोन करने पर भी मिलने का समय तक नहीं दिया.
लेकिन अब ताजा अपडेट है. एक सप्ताह पहले नीतीश कुमार ने खुद फोन कर नरेंद्र सिंह से लंबी बातचीत की. इसके बाद नीतीश कुमार नरेंद्र सिंह के एक संबंधी की शादी में पहुंचे जहां दोनों के बीच काफी देर तक गुफ्तगू होती रही. नीतीश कुमार ने नरेंद्र सिंह को साथ आने की सलाह दी है. विधानसभा चुनाव के पहले तक नीतीश की नजर में महत्वहीन बने पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह अब उनके पुराने दोस्त हो गये हैं.
नरेंद्र सिंह से मिले नीतीश
रविवार को पटना में नरेंद्र सिंह के एक रिश्तेदार की शादी थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उस शादी में शामिल होने पहुंचे. शादी में नीतीश कुमार और नरेंद्र सिंह साथ साथ बैठे और दोनों में लंबी गुफ्तगू हुई. मौका शादी का था लेकिन चर्चा सियासी हो रही थी. नरेंद्र सिंह से मीडिया ने पूछा कि क्या बात हुई. उन्होंने कहा कि शादी में मुलाकात का विशेष अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिये.
नीतीश ने पूछा-क्या विचार है
पिछले साल बडे बेआबरू हो कर जेडीयू से निकले नरेंद्र सिंह से नीतीश ने पूछा कि पार्टी में शामिल होने पर उनके क्या विचार हैं. नरेंद्र सिंह ने जब मीडिया ने पूछा तो उन्होंने स्वीकार किया कि मुलाकात से पहले मुख्यमंत्री के साथ टेलीफोन पर उनकी लंबी बातचीत हुई थी. मुख्यमंत्री ने उनसे पूछा कि आप क्या सोच रहे हैं. मैंने उन्हें यही जवाब दिया कि उनकी राजनीति शुरू से किसानों-मजदूरों पर केंद्रित रही है. आगे भी उसी दिशा में काम करेंगे. मीडिया ने पूछा क्या आप जदयू में शामिल होने जा रहे हैं? नरेंद्र सिंह का जवाब था कि हम मजदूरों-किसानों की समस्या के निदान के लिए संघर्ष कर रहे हैं. मेरे विधायक पुत्र सुमित कुमार सिंह राज्य सरकार का समर्थन कर रहे हैं.
बेचैनी में हैं नीतीश
अब हम विधानसभा चुनाव का एक वाकया आपको याद दिलाते हैं. विधानसभा चुनाव से पहले नरेंद्र सिंह ने खुद तो नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था लेकिन उनके बेटे सुमित सिंह नीतीश कुमार के पक्ष में खुलकर मैदान में उतर गये थे. सुमित सिंह अपने क्षेत्र में चकाई में जेडीयू की बैठक कर रहे थे, पार्टी के कार्यक्रमों में जी-जान से लगे थे. लेकिन जब चुनाव आया तो नीतीश कुमार ने सुमित सिंह को टिकट नहीं दिया. चकाई से विधायक रह चुके सुमित सिंह को टिकट नहीं देकर वहां से जेडीयू ने नये उम्मीदवार संजय प्रसाद को मैदान में उतार दिया था. हालांकि सुमित सिंह निर्दलीय चुनाव जीत गये. लेकिन सियासी हलके में चर्चा यही हुई कि नीतीश कुमार और नरेंद्र सिंह के बैर इतना ज्यादा था कि सुमित सिंह को बेटिकट कर दिया गया.
चुनाव के बदल गये नीतीश के तेवर
जानकारों की मानें तो चुनाव खत्म होते ही नीतीश कुमार के तेवर बदल गये. निर्दलीय चुनाव जीत कर आये नरेंद्र सिंह के बेटे सुमित कुमार सिंह के घर नीतीश कुमार के खास सिपाहसलार अशोक चौधरी सुबह-सुबह ही पहुंच गये थे. ये वाकया चुनाव परिणाम आने के दो दिन बाद का है. अशोक चौधरी खुद सुमित कुमार सिंह को लेकर सीएम आवास गये, जहां सुमित सिंह ने नीतीश कुमार को समर्थन देने की घोषणा की. इसके बाद ही नीतीश कुमार ने नरेंद्र सिंह से टेलीफोन पर बात की थी. हालांकि एक वो भी दौर था जब नीतीश कुमार नरेंद्र सिंह को मिलने का समय नहीं दे रहे थे. ये कहानी खुद नरेंद्र सिंह ने मीडिया को सुनायी थी. दरअसल 2014 में जब नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के बीच विवाद छिड़ा था तो नरेंद्र सिंह मांझी के साथ हो गये थे. नरेंद्र सिंह हम पार्टी में आ गये, नीतीश कुमार लालू यादव के सपोर्ट से बिहार के सीएम बन गये थे. कुछ सालों तक नीतीश के खिलाफ राजनीति करने के बाद कोई रास्ता नहीं सूझा तो नरेंद्र सिंह फिर से जेडीयू में शामिल हो गये थे.
नरेंद्र ने नीतीश को बताया था धोखेबाज
पिछले साल उनका जेडीयू से फिर से मोहभंग हुआ और वे बिहार में तीसरा मोर्चा बनाने में लग गये थे. नरेंद्र सिंह ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर नीतीश कुमार को धोखेबाज करार दिया. वे लालू यादव से भी मिल आये थे. इसी विधानसभा चुनाव के दौरान ही उनकी सुरक्षा व्यवस्था कम कर दी गयी थी. इसके बाद पिछले ही महीने नरेंद्र सिंह ने नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला था. लेकिन अब नीतीश कुमार को नरेंद्र सिंह अच्छे लगने लगे है.
उपेंद्र को भी न्योता
इससे पहले नीतीश कुमार उपेंद्र कुशवाहा को घर बुलाकर मिले थे. उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के बीच पहले जो कुछ हुआ था वो जगजाहिर है. लेकिन अब फिर से नीतीश कुमार ने खुद पहल कर उपेंद्र कुशवाहा को जेडीयू में आ जाने का न्योता दिया है. हालांकि कुशवाहा कह रहे हैं कि उन्होंने जेडीयू में अपनी पार्टी के विलय पर कोई फैसला नहीं लिया है. सवाल ये है कि क्या नीतीश कुमार को अब लग रहा है कि उनके सियासी जमीन खिसक चुकी है. इसे वापस लाने के लिए उन्हें पुराने साथियों की फिर से जरूरत है. लिहाजा वे वैसे तमाम लोगों को वापस अपने पाले में लाने की कोशिश में लगे हैं जिनका सियासी वजूद है लेकिन नीतीश की बेरूखी के कारण ही जेडीयू छोड़ कर चले गये थे.