GANDHINAGAR: 2002 के गुजरात दंगों पर बनाई गई जस्टिस नानावती मेहता आयोग की फाइनल रिपोर्ट आज विधानसभा में पेश कर दी गई. रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट मिल गई है. गृह मंत्री प्रदीप सिंह ने कहा कि आयोग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिया है. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तत्कालीन मंत्री हरेन पंड्या, भरत बारोट और अशोक भट्ट की किसी भी तरह की भूमिका साफ नहीं होती है. रिपोर्ट में अरबी श्रीकुमार, राहुल शर्मा और संजीव भट्ट की भूमिका पर सवाल खड़े किए गये हैं. विधानसभा में गृह मंत्री प्रदीप सिंह ने कहा कि, 'नरेंद्र मोदी पर आरोप लगा था कि किसी भी जानकारी के बिना वो गोधरा गए थे. इस आरोप को आयोग ने खारिज कर दिया है. इसके बारे में सभी सरकारी एजेंसियों को जानकारी थी.
आपको बता दें कि गोधरा ट्रेन जलने और उसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगों के कारणों की जांच के लिए नानावती आयोग का गठन किया गया था. आयोग ने अपनी पहली रिपोर्ट 25 सितंबर 2008 को विधानसभा में पेश की थी. इसके बाद आयोग ने अपनी फाइनल रिपोर्ट 18 नवंबर 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसे रोक दिया था. अब पांच साल बाद इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया गया. साबरमती एक्सप्रेस में 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर आग लग गई थी. इसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे. गोधरा ट्रेन अग्निकांड में मारे गए अधिकतर लोग कार सेवक थे जो अयोध्या से लौट रहे थे. मामले की जांच करने के लिए गुजरात सरकार की तरफ से गठित नानावती आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि एस-6 कोच में लगी आग दुर्घटना नहीं थी, बल्कि उसमें आग लगाई गई थी.
साल 2002 में हुए दंगों में गुजरात पुलिस पर इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप लगे थे. तीन दिन तक चली हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए थे जबकि कई लापता हो गए थे. आरोप ये भी लगते हैं कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंगाइयों को रोकने के लिए जरूरी कार्रवाई नहीं की. बाद में केंद्र की यूपीए सरकार ने दंगों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट दे दी थी. जिसके बाद आज नानावती-मेहता समिति की फाइनल रिपोर्ट में भी पीएम मोदी को क्लीन चिट मिल गई.