नालंदा से उपेंद्र कुशवाहा करेंगे विरासत बचाओ नमन यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत, 20 मार्च को पहुंचेंगे अरवल

नालंदा से उपेंद्र कुशवाहा करेंगे विरासत बचाओ नमन यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत, 20 मार्च को पहुंचेंगे अरवल

PATNA : जेडीयू से अलग होकर खुद की नयी पार्टी बनाने के बाद राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा विरासत बचाओ नमन यात्रा पर निकले हुए हैं। उनकी यह यात्रा दो चरणों में होना तय हुआ है। वर्तमान में उनकी पहले चरण की यात्रा खत्म हो चुकी है और अब दूसरे चरण के शुरुआत की तारीख का एलान कर दिया गया है। उपेंद्र कुशवाहा के विरासत बचाओ, नमन यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत 15 मार्च से नालंदा जिले से होगी। 


राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा 15 मार्च को लाल सिंह त्यागी के स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद में वे बिहारशरीफ में गुरु सहाय लाल स्मारक पर माल्यार्पण कर सभा को संबोधित कर यात्रा को आगे बढ़ाएंगे। कुशवाहा अपनी यात्रा के दौरान बुधवार 15 मार्च को ही बरबीघा में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद वे लोगों से संवाद करेंगे। इसके बाद कुशवाहा शेखपुरा में पटेल चौक के पास जनसभा को संबोधित कर लखीसराय के रास्ते मुंगेर को प्रस्थान करेंगे और रात्रि विश्राम मुंगेर में करेंगे। 


इसके बाद अगले दिन यानी 16 मार्च को उपेन्द्र कुशवाहा की यात्रा भागलपुर पहुंचेगी फिर वहां से जमुई के रास्ते शेखोदौरा और गहलौर घाटी होते हुए डेहरी ऑन सोन आएंगे। कुशवाहा इस दौरान शहीद तिलका मांझी, और पर्वत पुरुष दशरथ मांझी को खिराजे अकीदत पेश करेंगे। शेखोदौरा में वे जेपी आश्रम में जेपी को नमन करेंगे। वहीं, 18 मार्च को डेहरी ऑन सोन में अब्दुल कयूम अंसारी स्मृति कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद वे यात्रा के क्रम में सासाराम, जगदीशपुर, चंदवाआरा होते हुए 20 मार्च को अरवल पहुंचेंगे। 


आपको बताते चलें कि,कुशवाहा अपनी इस यात्रा में बिहार के 28 जिलों से होते हुए दो दर्जन से अधिक महापुरुषों की जन्मस्थली और कर्मस्थली पर जाएंगे और करीब 100 से अधिक जनसभा को संबोधित करेंगे। अपनी इस यात्रा को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि राष्ट्रीय लोक जनता दल ने समता मूलक समाज और उसकी विरासत को बचाने के लिए इस अभियान की शुरुआत  की है। पार्टी जननायक कर्पूरी ठाकुर के आदर्शों और मूल्यों को स्थापित करने के लिए कृतसंकल्प है। जिसका सपना उन्होंने बिहार के वंचित, पिछड़ा- अतिपिछड़ा, दलित- महादलित, लव-कुश, अल्पसंख्यक और सामान्य जाति के लोगों के लिए देखा था। लेकिन वर्तमान सत्ता और व्यवस्था ने वंचितों और शोषितों की विरासत के साथ खिलवाड़ किया है।