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लिपि सिंह के मामले में हाईकोर्ट की अवमानना को तैयार सरकार? मुंगेर गोलीकांड में कोर्ट ने चेताया-मुआवजा देने में देर की तो करेगे कार्रवाई

1st Bihar Published by: Updated Thu, 20 May 2021 07:59:23 AM IST

लिपि सिंह के मामले में हाईकोर्ट की अवमानना को तैयार सरकार? मुंगेर गोलीकांड में कोर्ट ने चेताया-मुआवजा देने में देर की तो करेगे कार्रवाई

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PATNA : बहुचर्चित पुलिस अधिकारी लिपि सिंह के एसपी रहते मुंगेर में दुर्गा पूजा मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए गोली कांड में नीतीश सरकार हाईकोर्ट की अवमानना करने को भी तैयार है? हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने न पीडित परिवार को मुआवजा दिया औऱ ना ही तय समय में जांच पूरी हुई. नाराज पटना हाईकोर्ट ने अब सरकार पर अवमानना का मामला चलाने की चेतावनी दी है. 

क्यों हाईकोर्ट को भी नकार रही है सरकार

दरअसल बिहार के मुंगेर में पिछले साल दुर्गा मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए गोलीकांड को लेकर पटना हाईकोर्ट ने पिछले 7 अप्रैल को ही अपना फैसला सुनाया था. हाइकोर्ट ने पूरे मामले की जांच का जिम्मा सीआइडी को सौंपा था. कोर्ट मे कहा था कि CID की विशेष जांच टीम चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी. पटना हाईकोर्ट ने फायरिंग में मारे गये युवके के परिजनों को फौरन 10 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था. लेकिन सरकार ने न पीडित परिवार को मुआवजा दिया न मामले की जांच चार सप्ताह में पूरी हुई. इसके बाद गोलीकांड में मारे गये अनुराग पोद्दार  के पिता अमरनाथ पोद्दार ने फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

लगातार तीसरे दिन हाईकोर्ट में सुनवाई

बुधवार को लतागार तीसरे दिन हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अब भी सरकार ने अगर मुआवजा देने में देरी की तो उसे अवमानना के मुकदमा का सामना करने को तैयार रहना चाहिये. कोर्ट ने कहा कि सरकार को बिना देरी किये पीडित परिवार को 10 लाख रूपये का मुआवजा देना चाहिये.

सीआईडी को भी लगी फटकार

बुधवार को पटना हाईकोर्ट ने सीआईडी के एडीजी को भी मौजूद रह कर केस की जांच पर प्रगति रिपोर्ट देने को कहा था. सीआईडी के आलाधिकारियों ने भी मुंगेर गोलीकांड को लेकर जो प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश की उस पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जतायी. कोर्ट ने कहा कि सीआईडी को चार सप्ताह में जांच पूरी करनी थी जो अब तक नहीं हुई. कोर्ट ने कई अहम बिंदुओं पर सीआईडी को जांच का जिम्मा दिया औऱ 25 जून को रिपोर्ट देने को कहा है. अदालत 25 जून को फिर से इस मामले पर सुनवाई करेगी. 

लिपि सिंह के लिए सारा खेल?

हम आपको बता दें कि मुंगेर गोलीकांड मामले में सरकार हाईकोर्ट में भी गलत जानकारी देने से बाज नहीं आयी. इस मामले की फिर से सुनवाई पिछले सोमवार से हाईकोर्ट में चल रही है जब पीडित परिवार ने कोर्ट से गुहार लगायी थी कि उसके फैसले के बाद भी सरकार ने मुआवजा नहीं दिया. सोमवार को सरकार ने कोर्ट को कहा था कि वह हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी है. मंगलवार को जब हाईकोर्ट ने फिर से सुनवाई की तो राज्य सरकार ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट नहीं बल्कि पटना हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी. इसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार को ये डिटेल देने को कहा था कि वह कब सुप्रीम कोर्ट गयी. मंगलवार को हाईकोर्ट में राज्य सरकार के वकील ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में .याचिका दायर नहीं की गयी है. राज्य सरकार ने बताया कि जिस वकील से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने पर कानूनी राय मांगी गयी थी उनकी कोरोना से मौत हो गयी. इसके कारण सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर नहीं की गयी है. राज्य सरकार के वकील ने बताया कि इसी दौरान बिहार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की जरूरत नहीं है. पटना हाईकोर्ट में ही मुआवजा खत्म करने या कम करने की याचिका दायर की जा सकती है. हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की बेंच ने राज्य सरकार के रवैये पर गहरी नाराजगी जतायी थी. 

गौरतलब है कि पिछले साल दुर्गा पूजा के मूर्ति विसर्जन के दौरान मुंगेर में पुलिस फायरिंग हुई थी. तब मुंगेर की एसपी बहुचर्चित लिपि सिंह हुआ करती थीं. दुर्गा पूजा मूर्ति विसर्जन के दौरान पुलिस बर्बरता के कई वीडियो वायरल हुए थे. चुनाव का समय था, लिहाज प्रशासन की कमान चुनाव आयोग के जिम्मे था. चुनाव आयोग ने लिपि सिंह का तबादला कर दिया था. मामले की प्रशासनिक जांच के आदेश भी दिये गये थे. लेकिन लिपि सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. बाद में सरकार ने उन्हें सहरसा का एसपी बना दिया.

उधर इस मामले में मारे गये अनुराग पोद्दार के पिता अमरनाथ पोद्दार ने पटना हाइकोर्ट में आपराधिक रिट याचिका दायर कर मुंगेर गोलीकांड की सीबीआइ जांच की गुहार लगायी थी. हाईकोर्ट ने पिछले 8 जनवरी को इस केस की तत्काल सुनवाई करने से इंकार कर दिया था. इसके बाद अमरनाथ पोद्दार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पटना हाइकोर्ट इस मामले पर दो महीने में सुनवाई कर फैसला ले लेगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में ही पटना हाईकोर्ट ने 7 अप्रैल को फैसला सुनाया था.