PATNA : बिहार के सीएम दो दिनों के लिए बाहर क्या गए उनके अधिकारी एक बार फिर राजभवन से सवाल- जवाब करना शुरू कर दिए। सीएम नीतीश कुमार देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में इंडिया गठबंधन की बैठक कर रहे थे तो बिहार की राजधानी पटना में शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच यूनिवर्सिटी पर अधिकार की लड़ाई का तीसरा राउंड शुरू हो गया है।
इससे पहले बिहार यूनिवर्सिटी के वीसी और प्रो वीसी का वेतन रोकने और विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति को लेकर दो राउंड विवाद हो चुका था। जिसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने राजभवन जाकर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मुलाकात की और उसके बाद कुलपति नियुक्ति विज्ञापन विवाद थमा था। इसके बाद अब ताजा मामला राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंगथू द्वारा राज्य के सारे वीसी को पत्र लिखकर राजभवन के अलावा किसी पदाधिकारी की ना सुनने का निर्देश देने के बाद शुरू हुआ है।
दरअसल, राजभवन से जारी पत्र शिक्षा विभाग को भेजने के बाद अब इस पत्र के जवाब में एसीएस केके पाठक की अगुवाई वाले शिक्षा विभाग के सचिव बैधनाथ यादव ने भी सभी वीसी को पत्र लिखकर सरकार की तरफ से दिशा-निर्देश जारी कर दिए। इस पत्र में राज्य के सभी वीसी को कार्यालय में बैठने और क्लास लेने तक कहा गया है। वीसी अगर छुट्टी पर या मुख्यालय से बाहर जाएं तो विभाग को बताकर जाएं।
शिक्षा सचिव वैधनाथ यादव ने राजभवन के प्रधान सचिव आरएल चोंगथू को लिखी जवाबी चिट्ठी में राजभवन से बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 की उन धाराओं से विभाग को अवगत कराने कहा है जिसके तहत यूनिवर्सिटी पर चांसलर का स्पष्ट अधिकार बनता है। यादव ने राजभवन से उन अधिकारियों का नाम भी बताने कहा है जिन्होंने चांसलर के अधिकार को कम करने की कोशिश की और किस तरह से की। यादव ने पत्र में कहा है कि विभाग नियम और कानून के हिसाब से काम करता है। विश्वविद्यालय भी शिक्षा विभाग से दिशा-निर्देश मांगते हैं, अपनी-अपनी दिक्कत बताते हैं और हम मदद करने की कोशिश करते हैं। विभाग उनके साथ सार्थक संवाद कर रहा है।
इसके बाद शिक्षा सचिव बैधनाथ यादव ने लिखा है कि राज्य सरकार हर साल विश्वविद्यालयों को 4000 करोड़ रुपए की मदद दे रही है और हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक इनका 3000 से ज्यादा केस लड़ रही है। यादव ने चोंगथू को लिखा है कि विश्वविद्यालयों को चलाने में कुलाधिपति के सचिवालय (राजभवन) की अगर अपना 'स्पष्ट अधिकार' लागू करने में इतनी दिलचस्पी है तो उसे कोर्ट में चल रहे यूनिवर्सिटी के मुकदमे भी लड़ना चाहिए और हरेक मुकदमे में हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने पर विचार करना चाहिए।
आपको बताते चलें कि, इससे पहले राज्यपाल के प्रधान सचिव चोंगथू की तरफ से कुलपतियों को भेजी गई चिट्ठी में बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 का हवाला देकर कहा गया था कि विश्वविद्यालय स्वायत्त हैं और शैक्षणिक और प्रशासनिक काम पर स्पष्ट रूप से कुलाधिपति यानी राज्यपाल का अधिकार है। चिट्ठी में कुछ अधिकारियों द्वारा अवैध रूप से यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता और चांसलर के अधिकार को कमजोर करने की कोशिश की बात भी कही गई थी।