DESK : नए साल के मौके पर महाकाल मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए दर्शन व्यवस्था को अंतिम रूप दे दिया गया है। यहां 25 दिसंबर से दो जनवरी के मध्य दस लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। इसको लेक व्यवस्थाओं को लेकर समीक्षा बैठक की गई। इसमें कलेक्टर, एसपी, सहित अन्य अधिकारी और जनप्रतिनिधि शामिल हुए।
जानकारी के अनुसार, सामान्य श्रद्धालु चारधाम मंदिर पार्किंग स्थल से प्रवेश द्वार होते हुए नंदी द्वार भवन फैसिलिटी केंद्र-1 से श्री महालोक मानसरोवर नवीन टनल-1 जाकर गणेश मंडपम पहुंचेंगे। यहां से दर्शन कर आपातकालीन निर्गम द्वार से बाहर की ओर बड़ा गणेश मंदिर के समीप हरसिद्धि मंदिर तिराहा होते हुए फिर से चारधाम मंदिर पहुंचेंगे।
श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होने पर फैसिलिटी सेंटर-1 से निर्गम रैंप, गणेश मंडपम् एवं नवीन टनल दोनों ओर से श्रद्धालुओं दर्शन के लिए जा सकेंगे। दर्शनार्थियों की संख्या और बढ़ने पर फैसिलिटी सेंटर-1 से सीधे कार्तिकेय मंडपम् में प्रवेश कराया जाएगा।यहां दर्शन के बाद गेट नंबर 10 अथवा निर्माल्य द्वार के रास्ते बाहर की ओर जाने की व्यवस्था रहेगी। दर्शनार्थियों की अत्यधिक संख्या होने पर ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन भस्म आरती पंजीयन भी बंद कर दिया जाएगा।ऐसी स्थिति में कार्तिकेय मंडपम् रिक्त रखकर श्रद्धालुओं के लिए भस्म आरती के दौरान चलित दर्शन की व्यवस्था सुबह 4.15 से की जाएगी।
श्रद्धालु सरलता से महाकाल मंदिर एवं अन्य आवश्यक मूलभूत सुविधाएं वाले स्थल तक आवागमन कर सकें, इसके लिए संपूर्ण दर्शन मार्ग, वाहन पार्किंग, लड्डू प्रसाद काउंटर, प्राथमिक उपचार सुविधा, पेयजल वितरण स्थल आदि तक पहुंचने के लिए फ्लेक्स लगाए जाएंगे। सुरक्षा के लिए मंदिर परिक्षेत्र एवं संपूर्ण दर्शन मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
कंट्रोल रूम में सीसीटीवी सर्विलांस एवं एलईडी के माध्यम से सतत निरीक्षण किया जाएगा।बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों की पार्किंग कर्कराज पार्किंग, भील समाज धर्मशाला, कलोता समाज धर्मशाला, कार्तिक मेला मैदान, हरिफाटक ब्रिज के नीचे हाट बाजार, मेघदूत पार्किंग स्थल पर की जा सकेगी। चारधाम मंदिर पार्किंग स्थल पर वृहद स्तर के जूता स्टैंड का निर्माण किया जाएगा। इधर, कालभैरव मंदिर में गर्भगृह में 25 दिसंबर से पांच जनवरी प्रवेश पूरी तरह बंद रहेगा। बैठक के दौरान विधायक अनिल जैन ने कहा कि मंदिरों में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों द्वारा बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ अच्छा व्यवहार किया जाना चाहिए।