बिहार के राज्यपाल का कारनामा: 30 करोड की जालसाजी के आऱोपी VC को दिया एक महीने का मेडिकल लीव, छापे में करोडों रूपये बरामद हुए थे

बिहार के राज्यपाल का कारनामा: 30 करोड की जालसाजी के आऱोपी VC को दिया एक महीने का मेडिकल लीव, छापे में करोडों रूपये बरामद हुए थे

PATNA: बिहार के जिस कुलपति के ठिकानों पर छापेमारी में 30 करोड़ की जालसाजी का खुलासा हुआ था उस पर राजभवन की मेहरबानी जारी है. बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों के आऱोपी और स्पेशल विजलेंस यूनिट की छापेमारी में बेनकाब हो चुके वीसी राजेंद्र प्रसाद को एक महीने का मेडिकल लीव दे दिया है. भ्रष्ट कुलपति की आंखों में तकलीफ हो गयी है और डायबिटीज भी नियंत्रण से बाहर हो गया है लिहाजा राजभवन ने एक महीने तक छुट्टी पर रहने की इजाजत दे दी है.

हम आपको बता दें कि बिहार की स्पेशल विजलेंस यूनिट ने 17 नवंबर को मगध विश्वविद्यालय के कुलपति रांजेद्र कुमार के ठिकानों पर छापेमारी की थी. गया, बोधगया से लेकर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में राजेंद्र कुमार के घर औऱ कार्यालय में छापा पड़ा था. उसके बाद राजेंद्र प्रसाद को आकस्मिक अवकाश दे दिया गया था जो 23 नवंबर को खत्म हो रहा था. 23 नवंबर की शाम राजभवन की ओर से जानकारी दी गयी कि कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद को अब एक महीने का मेडिकल लीव दे दिया गया है औऱ तब तक प्रोवीसी विभूति नारायण सिंह इस यूनिवर्सिटी के वीसी का काम संभालेंगे. 


काले कारनामे पकड़े जाने के बाद भी वीसी बर्खास्त नहीं 

मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र कुमार के काले कारनामों की लंबी फेहरिश्त उजागर होने के बावजूद राजभवन उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय छुट्टी दे रहा है. हम आपको बता दें कि बिहार सरकार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने पिछले बुधवार को मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेन्द्र कुमार बोधगया में वीसी के कार्यालय, आवास और गोरखपुर में उनके निजी घर पर एक साथ छापेमारी की थी. गोरखपुर में रामगढ़ताल थाना क्षेत्र स्थित वीसी के घर से करीब 2 करोड़ कैश के साथ साथ 1 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति के दस्तावेज बरामद हुए थे.

स्पेशल विजलेंस यूनिट के सूत्रों के मुताबिक कुलपति ने अपने कार्यकाल में बड़ी संख्या में अचल संपत्ति खरीदी. छापेमारी में वीसी के काले कारनामों की इतनी लंबी फेहरिश्त सामने आयी कि सरकार हैरान रह गयी. दरअसल जब विजलेंस की टीम कुलपति के गोरखपुर स्थित निजी आवास को तलाशी के दौरान खंगालने लगी तो दो-तीन आलमारियां मिलीं, जिसकी चाबी राजेंद्र कुमार के पास रहती थी. जब उन आलमारियों को खोला गया तो नोटों की गडि्डयां झर-झर कर गिरने लगीं। एक लाख...दो...लाख...तीन लाख...गडि्डयों के ढेर में तब्दील होने लगीं.  विजलेंस की टीम को नोट गिनने के लिए मशीन मंगवाना पड़ा. आलमारियों से निकली रकम लगभग दो करोड रूपये थी. एक आलमारी खुली तो उससे गहनों का ढेर निकला. 


कुलपति के काले कारनामे

निगरानी जांच में वीसी पर भ्रष्टाचार के गंभीर मामले सामने आये. डॉ. राजेन्द्र कुमार ने मगध विश्वविद्यालय और वीरकुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर रहते हुए नाजायज ढंग से उत्तर पुस्तिका और किताबें खरीदीं. बिना जरूरत के ही उत्तर पुस्तिका और किताबें खरीदी गईं और टेंडर प्रक्रिया को ताक पर रख कर खास सप्लायर मनमाने दाम पर काम दे दिया गया. में वीसी ने पिछले तीन वर्षों में लगभग 30 करोड़ की सरकारी राशि का वारा न्यारा कर दिया. निगरानी को छापेमारी के दौरान यूनिवर्सिटीके के लिए खरीद की फाइलें भी वीसी के घर में मिली. 

विजलेंस यूनिट को जो दस्तावेज मिले उसके मुताबिक वीसी ने कई काले कारनामों को अंजाम दिया था. विवि परिसर में मात्र आउटसोर्सिंग पर 47 गार्ड तैनात हैं लेकिन 86 गार्ड के वेतन की निकासी की जा रही थी. जैसे जैसे निगरानी की जांच आगे बढ रही है वैसे वैसे वीसी के कारनामे सामने आते जा रहे हैं. इस बीच राजभवन ने वीसी पर कार्रवाई करने के बजाय दो दफे उनकी छुट्टी स्वीकृत कर दी है.