DESK : चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों के ऐलान के बाद कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव होंगे। जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि सुरक्षा कारणों से जम्मू-कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ संभव नहीं हैं। लोकसभा चुनाव के सम्पन्न होने के बाद राज्य में विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर में मौजूदा वक्त में राष्ट्रपति शासन लागू है। यहां पिछले छह साल में एक भी बार विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप 30 सितंबर तक चुनाव करा लिए जाएंगे। पिछले साल 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मोदी सरकार के फैसले पर मुहर लगाने के बाद वहां विधानसभा चुनाव के संकेत मिलने लगे थे। इसके बाद अब इसको लेकर कल चुनाव आयोग ने सबकुछ साफ़ कर दिया है।
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने समय-समय पर वहां का दौरा किया और राज्य प्रशासन, सेना और अर्धसैनिक अधिकारियों और खुफिया अधिकारियों के साथ बैठकें कीं। 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि वहां सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराए जाएं। मालूम हो कि, जम्मू-कश्मीर में सीटों की पुनर्व्यवस्था के प्रभारी 'परिसीमन आयोग' की रिपोर्ट के आधार पर पिछले साल केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 कर दी गई थी। सात में से छह सीटें जम्मू में (37 से 43) और एक कश्मीर में (46 से 47) बढ़ीं।
इसके साथ ही आयोग के मुताबिक 2011 की जनसंख्या के आधार पर सीटें बढ़ाने का फैसला किया गया है। नई प्रणाली के तहत, जम्मू और कश्मीर के पांच लोकसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक में अब 18 विधानसभा क्षेत्र होंगे। दूसरी ओर, पूर्वी राज्य जम्मू-कश्मीर से अलग होकर बने एक अन्य केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में एक लोकसभा सीट होगी।
उधर, मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, "केंद्र शासित प्रदेश में हर उम्मीदवारों के लिए सुरक्षा मुहैया करानी होगी, जो ऐसे समय में संभव नहीं है जब पूरे देश में चुनाव हो रहे हों। जम्मू-कश्मीर में सभी दलों ने कहा कि विधानसभा चुनाव संसदीय चुनावों के साथ होना चाहिए, लेकिन पूरी प्रशासनिक मशीनरी पर गौर करें तो यह एक साथ नहीं किया जा सकता है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 10-12 उम्मीदवार होंगे, जिसका मतलब राज्य में 1,000 से अधिक उम्मीदवार होंगे। हर प्रत्याशी को सुरक्षा मुहैया कराना होगा। एक साथ दोनों चुनाव कराने से ऐसा करना काफी मुश्किल है।"