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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 18 Jun 2025 04:10:29 PM IST
बिहार जमीन से जु़ड़ी खबर - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Land News: बिहार में भूमि संबंधित अड़चनों को दूर करने और निबंधन प्रक्रिया को सुगम बनाने के उद्देश्य से बिहार सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक निर्णय लिया है। अब जिला पदाधिकारी (डीएम) को खेसरा (प्लॉट संख्या) को जमीन की रोक सूची (prohibited land list) से हटाने अथवा उसमें जोड़ने का अधिकार सौंपा गया है। साथ ही, अब इसकी मासिक समीक्षा भी अनिवार्य कर दी गई है।
यह आदेश मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के सचिव अजय यादव द्वारा मंगलवार को एक पत्र के माध्यम से जारी किया गया। सचिव ने बताया कि हाल ही में निबंधन पदाधिकारियों के साथ हुई समीक्षात्मक बैठक में यह जानकारी सामने आई कि रोक सूची से नाम हटाने के लिए बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हो रहे हैं, लेकिन उचित निर्णय नहीं होने के कारण प्रक्रिया लंबित है।
इससे न केवल आम लोगों को कठिनाई हो रही है, बल्कि राजस्व संग्रह पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ज्ञात हो कि दस्तावेजों का निबंधन ही राज्य सरकार के लिए एक प्रमुख राजस्व स्रोत है।
अब तक आवेदन आने के बाद कई मामलों में निर्णय नहीं हो पाते थे, जिससे आवेदक न्यायालय का रुख करने को मजबूर हो जाते थे। इसके समाधान के लिए विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि जमीन की रोक सूची में दर्ज किसी भी खेसरा या नाम को हटाने या जोड़ने का अधिकार अब संबंधित जिले के डीएम के पास होगा। यह प्रक्रिया अब नियमित रूप से की जाएगी और हर महीने समीक्षा की जाएगी।
जमीन की रोक सूची में जिन खेसरा नंबरों को दर्ज किया जाता है, उनका निबंधन तब तक संभव नहीं होता जब तक उन्हें सूची से हटाया न जाए। इससे आम नागरिकों को ज़मीन की खरीद-बिक्री में काफी बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
उदाहरण के तौर पर, मुजफ्फरपुर जिले की रोक सूची में लगभग एक लाख खेसरा दर्ज हैं, जो निबंधन में बाधक बनते हैं। जब कोई व्यक्ति इन खेसरों की जमीन का निबंधन कराने जाता है, तो प्रक्रिया अटक जाती है और मामला विभागीय निर्णय पर निर्भर हो जाता है।
सरकार का मानना है कि इस नई व्यवस्था से निबंधन कार्यों में गति आएगी, राजस्व संग्रह बढ़ेगा, और आम जनता को न्यायिक प्रक्रियाओं में भटकने की आवश्यकता नहीं होगी। सचिव अजय यादव ने राज्य के सभी समाहर्ताओं (DMs) से आग्रह किया है कि वे प्रत्येक माह रोक सूची की समीक्षा करें और नियमों के अनुसार खेसरा को सूची में से हटाने या जोड़ने का समय पर निर्णय लें।
बिहार सरकार का यह निर्णय भूमि निबंधन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने की दिशा में एक ठोस और स्वागतयोग्य कदम है। इससे जहां आम नागरिकों को राहत मिलेगी, वहीं राज्य को भी राजस्व के रूप में लाभ होगा। आने वाले समय में इस फैसले की कार्यान्वयन प्रक्रिया और पारदर्शिता महत्वपूर्ण साबित होगी।