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1st Bihar Published by: Updated Sun, 03 May 2020 02:00:26 PM IST
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PATNA: लॉकडाउन के दौरान जब भी पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया तो कहा था कि कोरोना संकट में किसी को नौकरी से नहीं निकाले. लेकिन पीएम के आदेश की धज्जियां बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने उड़ा दी. उन्होंने लॉकडाउन के दौरान ही करीब 30 से अधिक लोगों को नौकरी से निकाल दिया.
नीतीश का ड्रीम प्रोजेक्ट
जिस प्रोजेक्ट को लॉकडाउन में कॉम्फेड की ओर से लोगों को नौकरी से हटाया गया है वह बिहार के मुखिया नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट हैं. इनमें में एक गृह जिला नालंदा का भी शामिल है. लेकिन लॉकडाउन का हवाला देते हुए लोगों को हटा दिया गया. इस फैसले से दोनों प्रोजेक्ट में काम करने वाले 26 लोग बेरोजागर हो गए है.
कॉम्फेड ने एजेंसी के जरिए की थी बहाली
नालंदा और वैशाली नीरा प्रोजेक्ट के लिए पटना के NETWAY SOLUTION एजेंसी को कॉम्फेड ने मैन पावर सप्लाई को लेकर करार किया था. दोनों प्रोजेक्ट में 60 आदमी देना था. लेकिन लॉकडाउन से पहले 26 लोग दोनों जगहों पर काम कर रहे थे. इसके बारे में जब फर्स्ट बिहार ने एजेंसी के एचआर हेड पंकज कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में अचानक बंद करने का फैसला कॉम्फेड ने जारी कर दिया. जिससे लोग बेरोजगार हो गए है. हमलोगों ने जो स्टाफ दिया था वह फंस गए है. वह दूसरे जगहों के रहने वाले है. ऐसे संकट की घड़ी में इस तरह का फैसा लेना ठीक नहीं है.
नालंदा में बन रहा सैनिटाइजर, फिर लोगों को हटाया गया
पंकज बताते हैं कि नीरा साल में तीन से चार माह ही बनता है. इसके बाद काम करने वाले लोगों से दूसरा काम कराया जाता है. फिलहाल नालंदा प्रोजेक्ट में वहां के डीएम ने लॉकडाउन के बाद सैनिटाइजर बनाने का आदेश दिया था. आदेश के बाद से हर दिन करीब 2 हजार 200 ML के सैनिटाइजर बोतल बन रहा. लेकिन कॉम्फेड ने वहां काम करने वाले स्टाफ को हटाने का आदेश दे दिया.
जवाब देने को तैयार नहीं है अधिकारी
वैशाली प्रोजेक्ट के इंचार्ज गौरी शंकर प्रसाद से जब फर्स्ट बिहार ने कॉल कर जाना कि आखिर किस कारण प्रोजेक्ट के 15 लोगों को हटाया गया. इसके बारे में वह कुछ नहीं बोले. सिर्फ इतना ही बोले कि ''वह संडे को वह बात नहीं करते हैं’’ इस अधिकारी के पास कुछ जवाब ही नहीं था कि वह दे सके. जिसके बाद वह संडे मंडे करने लगे.
शराबबंदी के बाद शुरू किया गया था नीरा
बिहार में शराबबंदी कानून लागू करने के बाद गोवा और तमिलनाडू के तर्ज पर बिहार में नीरा बनाने का फैसला किया गया था. इसके बारे में सरकार ने कहा था कि इसके पीने से स्वास्थ्य पर इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. ताड़ी का बेहतर विकल्प होगा. जब नीरा बनेगा तो शराबबंदी से बेरोजगार लोगों को इससे रोजगार मिलेगा. बिहार के कई जगहों पर काउंटर लगाकर इसकी बिक्री भी शुरू हुई थी. लेकिन वैशाली और नालंदा में नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट में काम करने वाले कई लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.