PATNA : शुक्रवार का दिन बिहार सरकार के मंत्री मुकेश सहनी के नाम रहा. मुकेश सहनी के भाई का सरकारी कार्यक्रम में ना केवल शामिल होना बल्कि उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट दिए जाने के मामले पर शुक्रवार को दिनभर सियासी हंगामा बरपा रहा. आखिरकार मुख्यमंत्री के कहने पर मुकेश सहनी ने मीडिया के जरिए इस पूरे मामले पर खेद जताया, लेकिन अब मुकेश सहनी प्रकरण को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा खुलासा किया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि मुकेश सहनी को उन्होंने जब इस मामले पर बातचीत के लिए बुलाया तो वह किसी ऐसे मामले का जिक्र कर रहे थे जिसमें मंत्री या किसी पद पर रहे बगैर कोई शामिल हुआ था. नीतीश कुमार ने कहा कि इस मामले को लेकर मैंने स्पष्ट कर दिया कि कार्यक्रम में उन्हें बजाप्ता आमंत्रण दिया गया था. नीतीश कुमार ने आज मुकेश साहनी से हुई बातचीत को लेकर जो बात कह गए दरअसल हम उसके पीछे की पूरी कहानी आपको बता रहे हैं.
दरअसल मुकेश सहनी जब मुख्यमंत्री से मिलने विधान परिषद पहुंचे तो वह लालू यादव की एक तस्वीर अपने साथ लेकर गए थे. बिहार में महागठबंधन की सरकार रहते लालू यादव बिहार सरकार के कार्यक्रम में शामिल हुए थे. सरकारी स्तर पर ऐसे दो कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें लालू यादव शामिल हुए थे. एक कार्यक्रम खुद लालू यादव के जन्मदिन के मौके पर आयोजित किया गया था. 11 जून 2017 को जेपी सेतु और आरा छपरा पुल का उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित था, इस दौरान जेपी सेतु उद्घाटन कार्यक्रम में लालू यादव शामिल हुए थे और बजाप्ता वह मंच पर भी बैठे थे. उस वक्त तेजस्वी यादव बिहार के पथ निर्माण मंत्री थे और नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोनों पूलों का उद्घाटन किया था. एक अन्य कार्यक्रम का आयोजन पटना के एसके मेमोरियल हॉल में किया गया था, तब तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ उस वक्त बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविंद के साथ लालू यादव और राहुल गांधी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. चंपारण शताब्दी को लेकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था और मंच पर राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ लालू यादव और राहुल गांधी मौजूद थे. मुकेश सहनी इन्हीं कार्यक्रमों में लालू की मौजूदगी को लेकर नीतीश के सामने दलील देने पहुंचे थे लेकिन नीतीश कुमार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया.
जेपी सेतु के उद्घाटन कार्यक्रम में लालू की मौजूदगी पर उस वक्त विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी ने खूब हल्ला मचाया था, लेकिन महागठबंधन की सरकार ने विपक्ष की एक बात नहीं सुनी थी. तब लालू और नीतीश एक गठबंधन में थे और बीजेपी विरोध में खड़ी थी.