PATNA: करीब 15 साल पहले तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव पर रेलवे में नौकरी देने का आरोप लगाने वाले ललन सिंह ने अब यू टर्न मारा है. 2008 में ललन सिंह ने ही सारे सबूतों के साथ न सिर्फ प्रेस कांफ्रेंस कर लालू प्रसाद यादव पर जमीन लेकर नौकरी देने का आरोप लगाया था बल्कि सीबीआई को तमाम कागजात सौंप कर जांच करने की मांग की थी. लेकिन जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने आज खुद प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर कहा कि जमीन के बदले रेलवे में नौकरी के मामले में कोई दम नहीं है।
ललन सिंह की ये सफाई तब आयी है जब लालू यादव यादव समेत उनके परिवार के पांच सदस्य इस मामले में फंस चुके हैं. बता दें कि ललन सिंह ही चारा घोटाले के मामलों में सबसे सक्रिय किरदार थे, जिसके पांच मामलों में लालू प्रसाद यादव को जेल की सजा हो चुकी है। पटना में गुरूवार को ललन सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सीबीआइ को इस मामले की याद तब आई, जब बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी. उन्होंने कहा-मैं समझता हूं कि इस मामले में लालू प्रसाद या उनके परिवार के किसी अन्य सदस्य के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है. ये मामला 2008 में सामने आया था. तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी. पहली जांच में कुछ नहीं पाया गया. ममता बनर्जी रेल मंत्री बनीं तो उन्होंने भी मामले की दोबारा जांच का आदेश दिया लेकिन दूसरी बार भी कोई साक्ष्य नहीं पाया गया. इसके बाद सीबीआइ ने इस केस की फाइल बंद कर दी थी।
ललन सिंह ने कहा कि केस 2008 का है जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी, लेकिन, 2014 में तो भाजपा की सरकार आ गई थी. केंद्र की भाजपा सरकार ने महागठबंधन की सरकार बनने से पहले ये मामला क्यों नहीं उठाया? नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हो गए हैं और राजद उनका साथ दे रहा है तो अचानक सीबीआइ को साक्ष्य कहां से मिल गया. केंद्र सरकार अपने विरोधियों का मनोबल तोड़ने के लिए इनका उपयोग कर रही है।
ललन सिंह का यू टर्न
ललन सिंह के यू टर्न की कहानी दिलचस्प है. 2008 में ललन सिंह ने तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव पर जमीन लेकर नौकरी देने का आरोप लगाया था. उन्होंने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर जमीन के कागजात जारी किये थे जो लालू परिवार के सदस्यों के नाम रजिस्ट्री किये गये थे. ललन सिंह ने उन्हीं कागजातों को सीबीआई को भी सौंपा था. सीबीआई ने जब पहली जांच में आरोप को गलत बताया तो ललन सिंह ने कहा था कि केंद्र सरकार के एक ताकतवर मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ केंद्र की ही एजेंसी सीबीआई कैसे सही जांच कर सकती है।
उन्होंने सीबीआई पर मैनेज होने का आरोप लगाया था। अब मजेदार बात ये है कि ललन सिंह सीबीआई की उस समय की जांच को सही करार दे रहे हैं. ये तब हो रहा है जब जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में न सिर्फ लालू प्रसाद यादव बल्कि राबड़ी देवी के साथ साथ उनकी दो बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव इस मामले में अभियुक्त बनायी जा चुकी हैं. लालू यादव के रेल मंत्री रहते राबडी देवी, मीसा भारती और हेमा यादव के नाम पर ही जमीन की रजिस्ट्री हुई थी।
चारा घोटाले की जांच के अहम किरदार थे ललन सिंह
बात सिर्फ लैंड फॉर जॉब मामले की नहीं है। 1996 में लालू प्रसाद यादव पर जब चारा घोटाला का आरोप लगा था तो उनके खिलाफ सीबीआई जांच कराने वालों में सबसे अहम किरदार ललन सिंह ही थे. पटना हाईकोर्ट में सीबीआई जांच के लिए याचिका दायर करने वालों में ललन सिंह शामिल थे. बाद में जब कोर्ट के आदेश से सीबीआई जांच शुरू हुई थी तो ललन सिंह ने जांच एजेंसी को सबूत जुटाने में सबसे ज्यादा मदद की थी. चारा घोटाले के पांच मामलों में लालू प्रसाद यादव को सजा सुनायी जा चुकी है. लालू प्रसाद यादव को 5 मामलों में अब तक 1.65 करोड़ रुपए का जुर्माना हो चुका है और 32 साल से अधिक की सजा हो चुकी है. फिलहाल जमानत पर लालू प्रसाद यादव बाहर हैं।