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1st Bihar Published by: Updated Fri, 19 Mar 2021 06:58:50 PM IST
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PATNA: नीतीश कुमार की पुलिस यानि बिहार पुलिस को अब किसी की भी वक्त किसी की तलाशी लेने के लिए किसी वारंट की जरूरत नहीं होगी। किसी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की जरूरत नहीं होगी और तो और अगर किसी वर्दीधारी ने जुल्म किया तो कोर्ट भी उसके खिलाफ तब तक कार्रवाई नहीं कर पायेगी जब तक की राज्य सरकार मंजूरी न दे दे। नीतीश सरकार ने बिहार में नया विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक पेश किया है उसमें ऐसे तमाम प्रावधान हैं।
नीतीश कुमार का नया पुलिस विधेयक
बिहार विधानमंडल में नीतीश कुमार ने खुद बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 पेश किया है। विधेयक को पेश करते हुए नीतीश कुमार ने लिखा है कि बिहार की बदली हुई परिस्थिति, नेपाल से लग रही सीमा जैसे मसलों को देखते हुए राज्य को एक ऐसे पुलिस फोर्स की जरूरत है जो कुशल, प्रशिक्षित और पूर्णतः सुसज्जित सशस्त्र बल हो। बिहार में अभी 1892 में बने बंगाल मिलिट्री पुलिस अधिनियम के तहत BMP को संचालित किया जा रहा था। अब सरकार नया कानून यानि बिहार विशेष सशस्त्र विधेयक लेकर आयी है।
BMP बनेगा विशेष सशस्त्र पुलिस बल
बिहार सरकार पहले से ही काम कर रहे बिहार मिलिट्री पुलिस यानि बीएमपी को विशेष सशस्त्र बल बनायेगी। सरकार कह रही है कि इस पुलिस फोर्स का मकसद होगा बिहार में औद्योगिक संस्थान, मेट्रो, हवाई अड्डा जैसे जगहों की सुरक्षा करना. इसे केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल यानि सीआईएसएफ की तर्ज पर बनाया जा रहा है लिहाजा सीआईएसएस की तरह ही अधिकार दिये गये हैं।
बिना वारंट तलाशी और गिरफ्तारी का अधिकार
सरकार के इस नये विधेयक में क्या कहा गया है इसे आप खुद पढ़ लीजिये
“ जब किसी भी विशेष सशस्त्र पुलिस अधिकारी के पास ये मानने का कारण है तो कि धारा 7 में उल्लेखित कोई अपराध घटित हुआ है या घटित किया जा रहा है। और यह कि तलाशी वारंट अपराधी के भागने या साक्ष्य छुपाने का अवसर दिये बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है। तो अपराधी को निरूद्ध कर सकता है यानि रोक सकता है। उसके शरीर औऱ वस्तुओं की तलाशी ले सकता है और यदि वह उचित समझता है तो ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर सकता है।”
कोर्ट से बचने का भी अधिकार
सरकार के इस विधेयक में कहा गया है
“ इस अधिनियम के तहत किसी भी अपराध का संज्ञान कोई भी कोर्ट नहीं लेगा जब आरोपित व्यक्ति एक विशेष सशस्त्र पुलिस अधिकारी है। सिवाय ऐसे अपराध से गठित तथ्यों की लिखित रिपोर्ट एवं सरकार द्वारा असंबंध में अधिकृत पदाधिकारी की पूर्व मंजूरी पर.” यानि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल के किसी अधिकारी पर कोई कोर्ट तब तक मुकदमा नहीं चला पायेगा जब तक राज्य सरकार उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दे दे।