PATNA : नागालैंड में नेफ्यू रियो पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने हैं। इस बार भी यहां बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी है। इस बीच सबसे बड़ी बात है कि, बिहार की राजनीती में इन दिनों एक दुसरे के कट्टर दुश्मन बनी पार्टी जेडीयू और भाजपा के बीच वहां एकजुटता दिख रहा है।
दरअसल, इस बार के नागालैंड के 60 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में जदयू को महज एक सीट पर जीत हासिल हुई थी। इसके बाद अब इस जीते हुए उम्मीदवार ने बिना कोई शर्त बीजेपी को अपना समर्थन दे दिया है। हालांकि, नागालैंड जदयू प्रभारी अफाक खान का कहना है कि पार्टी ने कोई समर्थन देने का फैसला नहीं लिया है और यह विधायक का निजी फैसला है।
मालूम हो कि, नागालैंड में जदयू को लगातार झटका लगा है। पार्टी को उम्मीद के अनुसार सफलता नहीं मिली। इस चुनाव से पहले पार्टी ने 6% से अधिक वोट प्राप्त करने का लक्ष्य रखा था जिससे उसे राज्यस्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हो जाए और जदयू को पूरे देश में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाए, लेकिन यह मंसूबा धरा का धरा रह गया। पहले चिराग पासवान की पार्टी ने जदयू के उम्मीदवार सहित बड़ी संख्या में नेताओं को अपनी पार्टी में मिला लिया। अब पार्टी के फैसले से अलग वहां के विधायक ने सरकार का समर्थन कर दिया है।
गौरतलब हो कि, इससे पहले भी नागालैंड में विपक्ष नहीं था और इस बार भी विपक्ष में एक भी सदस्य नहीं है। सभी दल के विधायक सरकार के साथ हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के विधायक ने भी सरकार का समर्थन किया है। हालांकि जदयू के समर्थन को लेकर जदयू के नागालैंड प्रभारी अफाक खान का कहना है कि पार्टी ने कोई समर्थन का फैसला नहीं लिया है।
आपको बताते चलें कि, नागालैंड में जदयू ने पूरी ताकत के साथ इस बार चुनाव लड़ा था और 8 से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता चुनाव प्रचार करने भी गए थे लेकिन जदयू को केवल एक सीट पर जीत मिली और 2 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे।