Bihar Crime News: विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच बिहार में मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा, हथियार और गोलियां बरामद Govardhan Asrani Death: दिवाली के जश्न के बीच दुखद खबर, हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता गोवर्धन असरानी का निधन Govardhan Asrani Death: दिवाली के जश्न के बीच दुखद खबर, हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता गोवर्धन असरानी का निधन Bihar News: मातम में बदली दिवाली की खुशियां, करंट लगने से बाप-बेटे की गई जान; लोगों में बिजली विभाग के खिलाफ गुस्सा Bihar News: मातम में बदली दिवाली की खुशियां, करंट लगने से बाप-बेटे की गई जान; लोगों में बिजली विभाग के खिलाफ गुस्सा Bihar Election 2025: RJD उम्मीदवार का नामांकन रद्द नहीं होने पर भड़के मुकेश सहनी के भाई, केस करने की दे दी चेतावनी Bihar Election 2025: RJD उम्मीदवार का नामांकन रद्द नहीं होने पर भड़के मुकेश सहनी के भाई, केस करने की दे दी चेतावनी Bihar News: बिहार में गंगा स्नान के दौरान बड़ा हादसा, दो बच्चों की डूबकर मौत; दो की बाल-बाल बची जान Bihar News: बिहार में गंगा स्नान के दौरान बड़ा हादसा, दो बच्चों की डूबकर मौत; दो की बाल-बाल बची जान Bihar Election 2025: बिहार में नामांकन दाखिल करते ही RJD उम्मीदवार गिरफ्तार, डकैती के मामले में पुलिस ने दबोचा; कोर्ट ने जारी किया था अरेस्ट वारंट
1st Bihar Published by: Updated Fri, 19 Nov 2021 01:21:42 PM IST
- फ़ोटो
HAJIPUR: हम 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन अंधविश्वास हमारे समाज में आज भी हावी है। वैज्ञानिक युग में आज हम मंगल ग्रह तक पहुंच चुके हैं लेकिन कई मौकों पर विज्ञान पर भी लोगों की आस्था और अंधविश्वास भारी पड़ती दिखती है। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा स्नान का खासा महत्व है लेकिन हाजीपुर में इस मौके पर एक ऐसा अनुष्ठान भी होता है जो आज की आधुनिक दुनिया के लिए अजब-गजब तमाशे से कम नहीं है।
हाजीपुर के गंगा और गंडक के संगम पर पौराणिक मोक्ष भूमि कोनहारा घाट पर भूतों का मेला भी लगता है जहां लाखों की संख्या में लोग दूरदराज के क्षेत्रों से यहां आते हैं। देर रात तक लोग गंगा में डूबकी लगाते के लिए नदी के घाट पर जुटते हैं। जिसके बाद अहले सुबह से ही नदी में डूबकी लगाना शुरू कर देते हैं। इसके साथ ही घाट के किनारे अंधविश्वास का खेल भी शुरू हो जाता है। कोनहारा घाट पर दुनियां का सबसे बड़ा भूतों का मेला लगता है।
कोरोना को लेकर पिछले दो सालों से सोनपुर मेला नहीं लग रहा है। मेले में उमड़ने वाली भीड़ के मद्देनजर सरकार ने इसके आयोजन पर रोक लगा रखी है। कार्तिक पूर्णिमा के गंगा स्नान से शुरू होने वाले सोनपुर मेले के आयोजन को इस साल भी सरकार ने अनुमति नहीं दी है लेकिन पूर्णिमा के स्नान की परम्परा अभी भी बरकरार है। पूर्णिमा के स्नान के साथ हाजीपुर के कोनहारा घाट पर अंधविश्वास की अनोखी परम्परा आज भी जारी है।
कार्तिक पूर्णिमा को हाजीपुर के कोनहारा घाट पर भूतों का मेला लगता है। दुनियां का सबसे बड़ा भूतों का मेला कोनहारा घाट पर ही लगता है। वैसे तो कार्तिक पूर्णिमा के गंगा स्नान के साथ सोनपुर मेले की शुरुआत होती रही है लेकिन पिछले 2 वर्षों से मेले के आयोजन पर पाबंदी लगी हुई है लेकिन पूर्णिमा की रात लगने वाले भूत मेले पर पाबंदियों का कोई असर नहीं पड़ रहा है। भूतों का यह मेला इस बार भी नजर आ रहा है। लाखों बुरी आत्मा और भूतों को बुलाने का और उन्हें भगाने की परंपरा शुरू से रही है।
हाजीपुर के कोनहारा घाट को पुराणो में मोक्ष भूमि माना गया है। पुराण में इस बात का वर्णन है की यही वो स्थान है जहां गज यानी हाथी रूपी अपने भक्त के पुकार पर भगवान विष्णु ने आकर ग्राह का वध कर भक्त को मुक्ति दिलाई थी श्रापित ग्राह ( घड़ियाल ) ने भगवान के हाथों वध किये जाने से मोक्ष पाया था। तभी से इस जगह को मोक्ष भूमि माना जाता है। माना जाता है की इस स्थान पर हर तरह की मुक्ति हासिल हो जाती है।
पूर्वी भारत में अंधविश्वास,भूत प्रेत और बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए ओझा गुणी और भूतों को मानने वाले और भूतों से परेशान लोगों को इस ख़ास दिन का इंतजार रहता है। कार्तिक पूर्णिया पर यहां आकर अनुष्ठान कर भूतों को अपने ऊपर से भगाते है। कार्तिक पूर्णिमा की रात होने वाले विशेष मेले में दूरदराज के लाखों लोग पहुंचते हैं जिसके बाद शुरू होता है रातभर चलने वाला भूत बुलाने का अनुष्ठान जिसे स्थानीय भाषा में भूत खेली कहते है। कही झूमते लोग, तो कही सिर पटकती महिलाये तो कही महिलाओं के बाल पकड़ खींचते ओझा-गुणी, तो कही अकेले जलती शमशान पर हवन का तमाशा नजर आता है।
कई किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस मेले में आपकों दूर-दूर तक हर जगह एक से बढ़ कर एक अनूठे भूत अनुष्ठान देखने को मिल जायेंगे। इस मेले में जहां लाखों लोग बुरी आत्माओं से छुटकारा के लिए पहुंचते हैं। भूत को पकड़ने और भगाने का दावा करने वाले ओझा भी इस मेले में बड़ी संख्या में आकर अपनी दूकान लगाते है। जगह-जगह सजी ओझा-गुणी की दूकान पर भूत भगाने और उतारने के करतब को देख आप बरबस अरेबियन नाइट्स और अलिफ लैला की दुनियां में होने का एहसास करेंगे।
कही भूत भगाने के लिए महिलाओं को बालों से खींचा जाता है तो कहीं डंडो से पीटा जाता है। भूतों के इस अजूबे मेले में आये ओझाओ के दावे भी आपको अजूबा लगेगा। ओझा बाबा का कहना है कि पिछले साल लॉकडाउन में वे नहीं आए थे लेकिन हर साल वे आते हैं। वे पिछले 45 साल से लगातार कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर लगने वाले भूत मेले में आते रहे हैं। हम लोग सिद्धी पाने के लिए यहां आते हैं।
हालांकि इस मेले के आयोजन स्थल पर सरकारी तौर पर व्यापक इंतजाम भी देखने को मिला। इस मेले के लिए प्रशासन की तरफ से सरकारी इंतजामों के साथ-साथ अधिकारियो की टीम रात से मौजूद है। इसे लेकर कंट्रोल रूम में बनाए गये है जहां इस मेले को सीसीटीवी से नजर रखी जा रही है। कोरोना को देखते हुए सरकार और प्रशासन ने ऐसे आयोजनों की गाइडलाइन भी जारी कर रखा है लेकिन हमारे समाज में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जहां आस्था और विश्वासन इन नियमों से ऊपर है। मेले में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती नजर आ रही है। किसी तरह के गाइडलाइन का पालन शायद ही यहां की जा रही है। मेले की तस्वीरें को देखकर ही इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।