जेपी नड्डा ने पटना में बच्चा बाबू को किया याद, जानिए कौन हैं बच्चा बाबू और उनकी जहाज की कहानी

जेपी नड्डा ने पटना में बच्चा बाबू को किया याद, जानिए कौन हैं बच्चा बाबू और उनकी जहाज की कहानी

PATNA: BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दो दिवसीय पटना दौरे पर हैं। पटना में आज उन्होंने रोड शो किया। रोड शो के बाद जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। जिसके बाद होटल मोर्या में आयोजित ग्राम संसद कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान जेपी नड्डा ने पुराने दिनों और बच्चा बाबू और उनकी जहाज को याद किया। उन्होंने कल का बिहार और आज के बिहार के बीच का अंतर बताया। कहा कि बिहार बदल रहा है।  


बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार में बताये पल और बच्चा बाबू की जहाज की चर्चा की। उन्होंने कहा कि बिहार की तस्वीर मैंने अपने शैशव अवस्था में देखी है युवा अवस्था में भी देखी है और आज भी देख रहा हूं। यही नहीं मैं गांव की भी तस्वीर देख रहा है। बच्चा बाबू की जहाज की चर्चा मैं कई बार लोगों से कर चुका हूं। ये उन दिनों की बात है जब यदि हमें दक्षिण बिहार से उत्तर बिहार जाना पड़ता था तो समझिए कि पूरा दिन बर्बाद हो जाता था। 


बच्चा बाबू का जहाज पकड़ने के लिए महेंद्रू घाट जाओंगे कि पहलेजा घाट जाओंगे कौन सा स्टीमर पकड़ोंगे और कौन से हल्फे में जाकर स्टीमर फिर लौट कर चला आएगा और वह एलसीटी घाट पर ना लगकर कौन से घाट पर लग जाएगा भगवान ही मालिक था। कभी बरौनी का रास्ता पकड़ोंगे कभी कही और का रास्ता पकड़ोंगे। दक्षिण से उत्तर बिहार आने जाने के दौरान भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। महात्मा गांधी सेतू बना तब तस्वीरें भी बदल गयी। लोगों की समस्याएं भी कम हो गयी। 


जेपी नड्डा ने बताया कि महात्मा गांधी सेतु को उन्होंने अपने नजरों के सामने बनते देखा है। गांधी सेतु का एक-एक पीलर उनके आंखों के सामने खड़े हुए। जब यह बनकर तैयार हो गया और इसके अलावे जेपी सेतु भी बन गया। आज रक्सौल, मोतिहारी, चंपारण, मुजफ्फरपुर जाना आसान हो गया है। तीन से चार घंटे में घुमकर आ सकते हैं। यही डेवलपमेंट है। यही बदले बिहार की बदलती तस्वीर है। 


बच्चा बाबू और उनकी जहाज की कहानी

पटना और पहलेजा घाट के बीच दो पानी का जहाज (स्टीमर) चला करता था। बांस घाट से बच्चा बाबू का जहाज काफी लोकप्रिय था। बच्चा बाबू सोनपुर के रईसों में से एक थे जिनकी बांस घाट से पहलेजा घाट के बीच स्टीमर चलती थी। उस वक्त नाव के अलावे  उत्तर बिहार से दक्षिण बिहार तक जाने के लिए कोई साधन नहीं था सिवाय बच्चा बाबू के जहाज के।


बड़ी तादाद में लोग इस जहाज से आवागमन किया करते थे। लेकिन समस्या यह थी की बच्चा बाबू का जहाज पर नहीं चलता था लोग घंटों इसका इंतजार किया करते थे। लोगों को बांस घाट से पहलेजा घाट जाने में काफी समय तक जहाज का इंतजार करना पड़ता था। जैसे ही लोग बच्चा बाबू के जहाज को आते देखते चेहरे पर खुशी झलकने लगती थी। जहाज पर चढ़ने के लिए लोग धक्का-मुक्की तक करते थे। गंगा एलसीटी सर्विस उन दिनों काफी लोकप्रिय थी। इस पर वाहन और मवेशी को भी लाद दिया जाता था। कई बार तो क्षमता से अधिक पैसेंजर होने पर उन्हें उतार दिया जाता था और फिर 4 से 6 घंटे तक फिर इंतजार लोगों को करना पड़ता था। बच्चा बाबू का जहाज आज भी गंगा नदी के किनारे देखा जा सकता है।