PATNA : संतान की दीर्घायु के लिए जितिया व्रत रखा जाता है. इस व्रत का संबंध महाभारत काल से भी है. कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में अपने पिता की मौत के बाद अश्वत्थामा बहुत नाराज था. उसके हृदय में बदले की भावना भड़क रही थी. इसी के चलते वह पांडवों के शिविर में हत्या की नियत से घुस गया.
शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थे. अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर मार डाला. लेकिन वे सभी द्रोपदी की पांच संतानें थीं. फिर अर्जुन ने उसे बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि छीन ली. अश्वत्थामा ने बदला लेने के लिए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को नष्ट कर दिया.
जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल उत्तरा को दे दिया और उसके गर्भ में मरे संतान को फिर से गर्भ में जीवित कर दिया. गर्भ में मरकर जीवित होने के कारण उस बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा. तब से ही संतान की लंबी उम्र और मंगल के लिए जितिया का व्रत किया जाने लगा.