झारखंड: 'खेलो इंडिया' में 2 गोल्ड जीतने वाली आशा को हेमंत सरकार से नहीं मिल रही मदद, रहने के लिए नहीं है घर

 झारखंड: 'खेलो इंडिया' में 2 गोल्ड जीतने वाली आशा को हेमंत सरकार से नहीं मिल रही मदद, रहने के लिए नहीं है घर

RANCHI: देश को गोल्ड मैडल देने वाली आशा किरण बारला का परिवार तंगहाल में जी रहा है. आपको बता दे आशा ने इस बार भोपाल में चल रहे इंडिया यूथ गेम्स की एथलेटिक्स स्पर्धा में 2-2 गोल्ड मेडल जीता और गुमला के साथ साथ अपने राज्य का नाम रौशन किया था. लेकिन आज आशा के गांव नवाडीह स्थित घर पर न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालय की सुविधा है. प्रशासनिक कुव्यवस्था और लापरवाही का आलम यह है कि गुमला जिले के कामडारा प्रखंड के नवाडीह गांव में रहनेवाले आशा के परिवार को मिला प्रधानमंत्री आवास दो साल बाद भी पूरा नहीं कर पाया है.


आपको बता दें कि आज आशा का परिवार मिट्टी के एक घर में रहता है. आशा के साथ उनकी बड़ी बहन फ्लोरेंस बारला भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की एथलीट हैं. दोनों बहनें स्तर पर दोनों सगी बहनों ने नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर दो दर्जन से अधिक गोल्ड मेडल जीतकर झारखंड और देश का नाम रौशन किया है.


2013 में आशा के पिता की मौत हो गई थी. आशा के इस मिट्टी के घर में मां दो भाई, एक भाभी और दो बहनें रहती है. कामडारा सीओ दीप्ति प्रियंका कुजूर ने कहा है कि समस्याएं सुलझाने के लिए प्रखंड प्रशासन प्रयासरत है. आशा ने कहा कि यदि मेरा घर बन जाए और साथ ही पानी की व्यवस्था हो जाए तो मेरे परिवार को रहत मिल जाएगी. उसने कहा पानी और शौचालय की समस्या पूरे गांव का है. प्रशासन को इन समस्याओं को दूर करने की कोशिश करना चाहिए.