RANCHI: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जिन विभागों का कार्यभार खुद संभाल रहे हैं, वहां का एक क्लर्क भी क्या मुख्यमंत्री से ज्यादा पावरफुल है। कहानी तो ऐसी ही निकल कर सामने आ रही है। भ्रष्टाचार का आरोपी एक क्लर्क सरकार के सारे आदेश को ठेंगा दिखा कर मौज कर रहा है।
सरकार ने उसके ट्रांसफर का आदेश जारी कर रखा है. लेकिन वह अपनी जगह पर बना हुआ है. उसके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की फाइल दब गयी और अब उसने करोड़ों का टेंडर जारी कर दिया है. ये सब उस विभाग में हो रहा है जो खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जिम्मे है. शनिवार को ही गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि झारखंड के सीएम देश के सबसे भ्रष्ट सीएम हैं. क्या इस क्लर्क की कहानी अमित शाह के आऱोपों की पुष्टि कर रहा है।
क्लर्क की कूबत
ये मामला है झारखंड सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग का, जिसके मंत्री खुद सीएम हेमंत सोरेन है. ये मामला हेमंत सोरेन के गृह क्षेत्र यानि दुमका का भी है. हम आपको दुमका के गवर्नमेंट पॉलिटेकनिक कॉलेज में पदस्थापित एक निम्नवर्गीय क्लर्क की हैसियत बताने जा रहे हैं. दुमका के गवर्नमेंट पॉलिटेकनिक कॉलेज में तैनात निम्नवर्गीय लिपिक यानि लोअर डिवीजन क्लर्क ज्ञानेंद्र नाथ ठाकुर की हैसियत बता रहे हैं।
सरकारी पॉलिटेकनिक कॉलेज में इस निम्नवर्गीय लिपिक को करोड़ों के सामान की खरीद के लिए अधिकृत अधिकारी बना कर रखा गया है. जिस कॉलेज में प्रिंसिपल से लेकर दूसरे टीचर औऱ अधिकारी हों, वहां एक लोअर डिवीजन क्लर्क को खरीद के लिए अधिकृत अधिकारी बनाने का आदेश ही बहुत कुछ बताने को काफी है।
भ्रष्टाचार के आरोपों की फाइल दब गयी
ज्ञानेंद्र नाथ ठाकुर नाम के इस क्लर्क के खिलाफ पिछले दो महीने में हेंमत सोरेन के प्रभार वाले उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों को कई शिकायतें मिलीं. शिकायत ये थी कि दुमका पॉलिटेकनिक कॉलेज में करोड़ों के तकनीकी सामान की खरीद बिक्री में जमकर धांधली की गयी. पंजाब के एक खास सप्लायर से निम्न स्तर के सामानों की खरीद की गयी।
विभाग को शिकायत मिली तो पिछले महीने ही जांच का आदेश हुआ. जांच के लिए विभाग ने एक तीन सदस्यीय कमेटी बनायी लेकिन कमेटी और उसकी रिपोर्ट कहां है ये कोई बताने को तैयार नहीं है. फर्स्ट बिहार ने इस मसले पर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की लेकिन किसी ने ऑन रिकार्ड कुछ भी बोलने से मना कर दिया।
ट्रांसफर के दो आदेशों को ठेंगा दिखाया
लेकिन ये निम्नवर्गीय लिपिक ज्ञानेंद्र नाथ ठाकुर के हैसियत की छोटी बानगी है. झारखंड सरकार के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने 29 दिसंबर 2022 को अपने पत्रांक संख्या-14/2022 के तहत ज्ञानेंद्र नाथ ठाकुर को प्रमोशन देते हुए दुमका पॉलिटेकनिक कॉलेज से ट्रांसफर करते हुए खरसावां स्थित राजकीय पॉलिटेकनिक में पदस्थापति करने का आदेश जारी कर दिया. ज्ञानेंद्र नाथ ठाकुर को तत्काल नये स्थान पर योगदान देने का भी आदेश दिया गया।
लेकिन, पॉलिटेकनिक कॉलेज खरसावां में योगदान देने के बजाय क्लर्क ज्ञानेंद्र नाथ ठाकुर ने दुमका पॉलिटेकनिक कॉलेज के प्रिंसिपल से उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग को पत्र लिखवा दिया. दुमका पॉलिटेकनिक कॉलेज के प्रिंसिपल ने विभाग को पत्र लिखकर कहा कि ज्ञानेंद्र नाठ ठाकुर का वहीं रहना जरूरी है इसलिए उनका ट्रांसफर नहीं किया जाये।
लेकिन उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने प्रिंसिपल के अनुरोध को रिजेक्ट कर दिया. 31 जनवरी 2023 को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने फिर से पत्र निकाला औऱ प्रिंसिपल को निर्देश दिया कि वे तत्काल ज्ञानेंद्र नाथ ठाकुर को रिलीव करें, जिससे कि वह खरसावां पॉलिटेकनिक कॉलेज में योगदान दे सके. लेकिन उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के दो-दो आदेश एक निम्नवर्गीय लिपिक की हैसियत के सामने फाइल में दब गयी।
करोड़ों की खरीद का फिर निकाल दिया टेंडर
अब इस निम्नवर्गीय क्लर्क की सबसे बड़ी हैसियत देखिये. जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप की जांच हो रही हो. जिसके तबादले का आदेश दो-दो बार निकाला जा चुका हो, उसने दुमका पॉलिटेकनिक कॉलेज में करोड़ों के सामान की खरीद का टेंडर निकाल दिया है. दुमका पॉलिटेकनिक कॉलेज में वर्कशॉप लैब के सामान की खरीद का टेंडर निकाला गया है. इस टेंडर में सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने भ्रष्टाचार के आरोपी होने के साथ साथ ट्रांसफर कर दिये गये लोअर डिवीजन क्लर्क ज्ञानेंद्र नाथ ठाकुर को ही सामान खरीदने का अधिकृत अधिकारी बना दिया है।
मुख्यमंत्री के विभाग में कैसे हो रहा खेल
ये सारा खेल उस विभाग में हो रहा है जिसके मंत्री खुद सीएम हेमंत सोरेन हैं. सारी फाइलें उन तक जाती हैं. उसी विभाग में ज्ञानेंद्र नाथ ठाकुर की हैसियत इतनी ज्यादा है कि कोई अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने ऑफ द रिकार्ड बताया कि ज्ञानेंद्र नाथ ठाकुर की पहुंच काफी उपर तक है. पिछले महीने से अधिकारियों ने उसके भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करा कर कार्रवाई की तैयारी की थी. लेकिन एक फोन कॉल आ गया. उसके बाद सारी कार्रवाई ऐसे रूकी मानो किसी गाडी में इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया गया हो।