झारखंड का राजकीय जनजातीय हिजला मेला शुरू, उद्घाटन करने से कतराते हैं नेता और अधिकारी

झारखंड का राजकीय जनजातीय हिजला मेला शुरू, उद्घाटन करने से कतराते हैं नेता और अधिकारी

DUMKA: अक्सर किसी भी राजकीय महोत्सव या मेले के उद्घाटन करने की बात आए तो कोई भी मंत्री-नेता और पदाधिकारी अतिथि बनने और फीता काटने के लिए तैयार रहते हैं. लेकिन झारखंड के दुमका में लगने वाले हिजला मेले के उद्घाटन में ऐसा देखने को नही मिलता. 


कुछ सालों पहले तक राज्यपाल और मुख्यमंत्री इस मेले के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि हुआ करते थे, लेकिन अब मेला के उद्घाटन करने के बाद राजनेताओं की कुर्सी से हाथ धोने के कुछ वाकये ने इस भ्रांति को बल दे दिया है. जिस वजह से बीते तीन दशक से नेता ही नहीं, अफसर भी इस मेले का फीता काटने से भागते हैं. ऐसे में मेले का उद्घाटन गांव के प्रधान से ही कराया जाता है. ग्राम प्रधान ही मुख्य अतिथि बनाये जाते हैं और वे मुख्य द्वार में फीता काटते हैं. 


बता दें दुमका से चार किमी की दूरी पर मयूराक्षी नदी के तट और हिजला पहाड़ी के पास 133 साल पहले से 1 सप्ताह का मेला लगता आया है. यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला है. इस साल24 फरवरी से मेले की शुरूआत हो रही है. यह मेला अब महोत्सव का रूप भी ले चुका है. चुकी यह मेला जनजातीय समाज के सांस्कृतिक की तरह है. जिसमें झारखंड की सिंगा-सकवा, मांदर व मदानभेरी जैसे परंपरागत वाद्ययंत्र की गूंज तो सुनने को मिलती ही है, झारखंडी लोक संस्कृति के साथ कई प्रांतों के कलाकार भी अपनी कलाओं का प्रदर्शन करने पहुंचते हैं. 


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